यह सबसे कठिन समय नहीं | yeh sabse kathin samay nahi | (CBSE/NCERT)


यह सबसे कठिन समय नहीं (yeh sabse kathin samay nahi ) कविता में कवयित्री ने बताया है कि यह समय संसार का सबसे मुश्किल समय नहीं है।


यह सबसे कठिन समय नहीं (yeh sabse kathin samay nahi ) कविता की कवयित्री जया जादवानी है। हिंदी साहित्य की प्रमुख लेखिका श्री जया जादवानी का जन्म 1 मई 1959 को मध्यप्रदेश राज्य के शहडोल जिले के कोतमा नामक स्थान पर हुआ। ये हिंदी की एक अप्रतिम कवयित्री रही हैं। कहानियों की दुनिया में तो इनकी एक अलग ही पहचान है। इनकी प्रमुख कृतियों में ‘मैं शब्द हूँ’, ‘अंनत संभावनाओं के बाद भी’, तत्वमसि, मुझे ही होना है बार बार आदि शामिल हैं। इन्हें ‘छत्तीसगढ़ हिंदी अकादमी सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है।
यह सबसे कठिन समय नहीं है कविता में कवयित्री ने बताया है कि यह समय संसार का सबसे मुश्किल समय नहीं है। अभी तो चिड़िया अपनी चोंच में तिनका दबाकर घोंसला बनाने जा रही है। अभी भी पेड़ से गिरती पत्तियों को थामने वाले हाथ मौजूद हैं। इस पंक्ति में कवयित्री कह रही हैं कि समय इतना ख़राब नहीं है, आज भी समाज में लोग एक-दूसरे की मदद करने को तत्पर रहते हैं। अभी भी मंज़िल की तरफ़ जाने की राह देख रहे लोगों को लेने रेलगाड़ी आती है। अभी भी कोई है जो सूरज डूबने से पहले आपको घर बुलाता है। बूढ़ी नानी ने जो कहानी हमें सुनाई थी, वो आज भी हमें कोई सुनाता है कि आकाश से परे एक दुनिया और भी है। अतः यह सबसे कठिन समय नहीं है।

कविता- यह सबसे कठिन समय नहीं, भावार्थ सहित

नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं!
अभी भी दबा है चिड़ियाँ की
चोंच में तिनका
और वह उड़ने की तैयारी में है!
अभी भी झरती हुई पत्ती
थामने को बैठा है हाथ एक
अभी भी भीड़ है स्टेशन पर
अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है
गंतव्य तक

भावार्थ– कवयित्री के अनुसार, भले ही हर तरफ अविश्वास का अंधकार छाया है, लेकिन अभी भी उनके मन में आशा की किरणें चमक रही हैं, वो कहती हैं – ये सबसे बुरा वक्त नहीं है।
अभी चिड़िया अपना घोंसला बुनने के लिए तिनके जमा कर रही है। वृक्ष से गिरती पत्ती को थामने के लिए कोई हाथ अभी मौजूद है। अभी भी अपनी मंज़िल तक पहुंचने का इंतज़ार कर रहे यात्रियों को उनकी मंज़िल तक ले जाने वाली गाड़ी आती है।

जहाँ कोई कर रहा होगा प्रतीक्षा
अभी भी कहता है कोई किसी को
जल्दी आ जाओ कि अब
सूरज डूबने का वक्त हो गया
अभी कहा जाता है
उस कथा का आखिरी हिस्सा
जो बूढ़ी नानी सुना रही सदियों से
दुनिया के तमाम बच्चों को
अभी आती है एक बस
अंतरिक्ष के पार की दुनिया से
लाएगी बचे हुए लोगों की खबर!
नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं।

भावार्थ– कवयित्री ने निराशा से भरे इस संसार में भी आशा का दामन थाम रखा है। तभी वो इन पंक्तियों में कहती हैं कि यह सबसे बुरा समय नहीं है। आज भी कोई घर पर किसी का इंतज़ार करता है और सूरज डूबने से पहले उसे घर बुलाता है। जब तक इस दुनिया में दादी-नानी की सुनाई दिलचस्प कहानियां गूँजती रहेंगी, तब तक ये दुनिया बसी रहेगी और सबसे बुरा वक्त नहीं आएगा।

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