भगवान के डाकिए | Bhagwan ke dakiye | Chapter-6 (CBSE/NCERT)

भगवान के डाकिए (bhagwan ke dakiye) कविता में कवि पक्षी और बादलों को भगवान के डाकिए कहा है। उनके अनुसार ये एक देश के संदेशों को दूसरे देश तक पहुंचाते हैं। भगवान के डाकिए (bhagwan ke dakiye) कविता के कवि रामधारी सिंह दिनकर है। महान कवि और लेखक श्री रामधारी सिंह दिनकर जी का जन्म 26 सितम्बर 1908 में बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में हुआ। इनकी कविताएं जोश, क्रांति, विद्रोह और आक्रोश के भावों से भरी नज़र आती हैं। इन्होंने रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, उर्वशी जैसी महान रचनाएं लिखीं। रामधारी सिंह दिनकर जी को ‘उर्वशी’ के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही, इन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण की उपाधि भी दी।
भगवान के डाकिए (bhagwan ke dakiye) कविता में कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने पक्षी और बादलों को भगवान के डाकिए कहा है। उनके अनुसार ये एक देश के संदेशों को दूसरे देश तक पहुंचाते हैं। भले ही हम उनके पत्रों को ना समझ पाएं, लेकिन पर्वत, पेड़-पौधे और पानी आदि इनकी चिट्ठियां आसानी से पढ़ लेते हैं। कवि के अनुसार, हवाओं में तैरते बादल और बादलों पर उड़ते पक्षी एक देश की खुशबू और भाप को दूसरे देश तक ले जाते हैं।

कविता- भगवान के डाकिए (bhagwan ke dakiye) , भावार्थ सहित

पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड
बाँचते हैं।

भावार्थ– भगवान के डाकिए (bhagwan ke dakiye) कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि आसमान में तैरते बादल और पक्षी भगवान के डाकिए हैं। ये एक देश से उड़कर दूसरे देश तक जाते हैं और ख़ास संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। ये संदेश हम समझ नहीं पाते, लेकिन भगवान के संदेश को पर्वत, जल, पेड़-पौधे आदि बख़ूबी समझ लेते हैं।

हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।

भावार्थ– रामधारी सिंह दिनकर जी ने यहां हमें प्रकृति की महानता के बारे में बताया है। हम तो धरती को सीमाओं में बांट लेते हैं, लेकिन प्रकृति के लिए सब एक-समान हैं। इसीलिए एक देश की धरती अपनी सुगंध दूसरे देश को भेजती है। ये सुगंध पक्षियों के पंखों पर बैठकर यहां-वहां फैलती है और एक देश की भाप, दूसरे देश में पानी बनकर बरस जाती है।

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