अकबर इलाहाबादी की प्रसिद्ध शायरी | Akabar Ilahabadi Ki Prasidh Shayari

अकबर इलाहाबादी की प्रसिद्ध शायरी | Akabar Ilahabadi Ki Prasidh Shayari इस post में हम अकबर इलाहाबादी के कुछ प्रसिद्ध शायरी पढ़ेंगे।

अकबर इलाहाबादी का मूल नाम सय्यद अकबर हुसैन इलाहाबादी था। सय्यद अकबर हुसैन इलाहाबादी का जन्म 16 नवंबर 1846 ई. को ज़िला इलहाबाद के क़स्बा बारह में हुआ और 9 सितंबर1921ई. में इनका देहांत हुआ। अकबर इलाहाबादी को उर्दू शायरी में हास्य-व्यंग्य का बादशाह माना जाता है।

हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है।

– अकबर इलाहाबादी

ता’लीम का शोर ऐसा तहज़ीब का ग़ुल इतना
बरकत जो नहीं होती निय्यत की ख़राबी है।

– अकबर इलाहाबादी

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ।

– अकबर इलाहाबादी

ज़िंदा हूँ मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीं बाक़ी
हर-चंद कि हूँ होश में हुश्यार नहीं हूँ।

– अकबर इलाहाबादी

या रब मुझे महफ़ूज़ रख उस बुत के सितम से
मैं उस की इनायत का तलबगार नहीं हूँ।

– अकबर इलाहाबादी

या रब मुझे महफ़ूज़ रख उस बुत के सितम से
मैं उस की इनायत का तलबगार नहीं हूँ।

– अकबर इलाहाबादी

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।

– अकबर इलाहाबादी

ख़ातिर से तिरी याद को टलने नहीं देते
सच है कि हमीं दिल को सँभलने नहीं देते।

– अकबर इलाहाबादी

दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़ है हर वक़्त
हम वो हैं कि कुछ मुँह से निकलने नहीं देते।

– अकबर इलाहाबादी

क्या ग़म-ए-दुनिया का डर मुझ रिंद को
और इक बोतल चढ़ा ली जाएगी।

– अकबर इलाहाबादी

फ़लसफ़ी को बहस के अंदर ख़ुदा मिलता नहीं
डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं।

– अकबर इलाहाबादी

ज़िंदगानी का मज़ा मिलता था जिन की बज़्म में
उन की क़ब्रों का भी अब मुझ को पता मिलता नहीं ।

– अकबर इलाहाबादी

लोग कहते हैं कि बद-नामी से बचना चाहिए
कह दो बे उसे जवानी का मज़ा मिलता नहीं।

– अकबर इलाहाबादी

इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है
साँस लेता हूँ बात करता हूँ।

– अकबर इलाहाबादी

आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज
शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ।

– अकबर इलाहाबादी

दिल मिरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला
बुत के बंदे मिले अल्लाह का बंदा न मिला।

– अकबर इलाहाबादी

वाह क्या राह दिखाई है हमें मुर्शिद ने
कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला।

– अकबर इलाहाबादी

चले दुनिया से जिस की याद में हम
ग़ज़ब है वो हमें भूला हुआ है।

– अकबर इलाहाबादी

जफ़ा हो या वफ़ा हम सब में ख़ुश हैं
करें क्या अब तो दिल अटका हुआ है।

– अकबर इलाहाबादी

ग़रीब दिल ने बहुत आरज़ूएँ पैदा कीं
मगर नसीब का लिक्खा कि सब का ख़ून हुआ।

– अकबर इलाहाबादी

क्यूँ शुक्र-गुज़ारी का मुझे शौक़ है इतना
सुनता हूँ वो मुझ पर कोई एहसाँ न करेंगे।

– अकबर इलाहाबादी

ख़ता किसी की हो लेकिन खुली जो उन की ज़बाँ
तो हो ही जाते हैं दो एक वार हम पर भी।

– अकबर इलाहाबादी

वादे भी याद दिलाते हैं गिले भी हैं बहुत
वो दिखाई भी तो दें उन से मुलाक़ात तो हो।

– अकबर इलाहाबादी

मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं
फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं।

– अकबर इलाहाबादी

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता।

– अकबर इलाहाबादी

आई होगी किसी को हिज्र में मौत
मुझ को तो नींद भी नहीं आती।

– अकबर इलाहाबादी

जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर
हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है।

– अकबर इलाहाबादी

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