दो बैलों की कथा | Do Bailon Ki Katha |Class-IX, Chapter-1 (CBSE/NCERT)
दो बैलों की कथा- सारांश
दो बैलों की कथा मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी में से एक है। इसके मुख्य पात्र दो बैल है हीरा और मोती यहां यह बैल सीधे सादे भारतीयो के प्रतीक है। यह शक्तिशाली और कमाओ होते हुए भी अत्याचार सहते हैं। प्रेमचंद्र ने इनके द्वारा परतंत्र भारतीयो की दुर्दशा का प्रतीकात्मक वर्णन किया है।
झुरी के पास दो बैल थे हीरा और मोती दोनों पछाई जाति के सुंदर, सुडौल और होशियार बैल थे। लंबे समय से साथ साथ रहते हुए हीरा और मोती में गहरी मित्रता हो गई थी। वह एक दूसरे को सूंघकर, चाट कर अपना प्यार दिखाते थे । झुरी ने एक बार दोनों बैलो को अपने ससुराल भेज दिया। बैलों को लगा कि उनके मालिक ने उन्हे बेच दिया है। वह बड़ी मुश्किल से झुरी के साले के साथ जाते हैं, लेकिन वहां पहुंचकर हीरा और मोती का मन नहीं लगता और वह रात के समय अपना पगघे तोड़ कर भाग जाते हैं और सुबह झुरी के घर पहुंच जाते हैं। सुबह जब झुरी उन्हें चरनी पर खड़ा देखता है तो बहुत खुश होता है, लेकिन झुरी की पत्नी बहुत क्रोधित होती है और उन्हें नमक हराम कहती है और उन्हें खाने के लिए सूखा चारा देती है।
दूसरे दिन फिर से झुरी का साला आकर उन्हें अपने साथ ले जाता है। इस बार भैरो हीरा और मोती को बहुत मोटी रस्सियों से बांधकर रखता है और उन्हें खाने के लिए सूखा भूसा देता है। अगले दिन भैरो उन्हें हल में जोतता है, लेकिन हीरा और मोती हल में जुतने के लिए मना कर देते हैं और वह हल – रस्सी साथ लेकर भाग निकलते हैं लेकिन उनके गले में मोटी और बड़ी रसिया बंदे होने के कारण वह पकड़े जाते हैं ।
अगले दिन फिर से शाम के समय भैरो उन्हें सूखा भूसा देता है लेकिन भैरो की बेटी उनके लिए रोटियां लेकर आती हैं और वह हीरा और मोती को खिला देती है। यह देख कर हीरा और मोती का छोटी लड़की से प्यार व्यक्त होता है। भैरो की बेटी हीरा और मोती के गले की रस्सियो को खोल देती है ताकि वह वहां से भाग सके लेकिन हीरा और मोती उस लड़की का प्यार देखकर वहां से नहीं भाग पाते है। तभी लड़की चिल्लाती है फूफा जी के यहां से लाए हुए बैल भागे जा रहे हैं। यह सुनकर हीरा और मोती वहां से भाग निकलते हैं। भैरो और बाकी गांव वाले उनका पीछा करते हैं पर वह हाथ नहीं आते।
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भागते -भागते हीरा और मोती एक मटर के खेत में पहुंचते हैं और वहां पर एक सांड से भीड़ जाते हैं दोनों मिलकर उस सांड को हरा देते हैं। उसके बाद खुश होकर वह मटर के खेत में घुस जाते हैं और मटर खाने लगते हैं। मटर खाते हुए उन्हें खेत का मालिक देख लेता है और उनके पीछे डंडा लेकर भागता है। हीरा तो भाग निकलता है लेकिन मोती कीचड़ में फंस जाता है। मोती को फंसा देखकर हीरा भी वापस आ जाता है और वह दोनों पकड़े जाते हैं पकड़े जाने के बाद हीरा और मोती को एक कांजीहौस में बंद कर दिया जाता है।
कांजीहौस में पहले से ही बहुत सी भैंसें, घोड़ियां, गधे, और बकरियां थी। कांजीहौस के कच्ची दीवार पर हीरा अपने सींगों से वार करने लगता है, तब ही आवाज सुनकर चौकीदार वहां आ जाता है और हीरा को मोटी रस्सी से बांध देता है। यह देख कर मोती के अंदर भी जोश आ जाता है और वह भी दीवार को तोड़ने लगता है। दो-तीन घंटे की कोशिश के बाद वह दीवार को तोड़ देते हैं। दीवार टूटते ही सभी जानवर वहां से भाग निकलते हैं। लेकिन हीरा को रस्सियों में बंधा देखकर मोती भी वहां से नहीं भागता। जब सुबह चौकीदार आता है तो यह सब देख कर वह हीरा और मोती को खूब मारता है। उन्हें हफ्ते भर खाने के लिए भी कुछ नहीं देता सिर्फ उन्हें एक समय पीने के लिए पानी दिया जाता था, इसी कारण उनकी हड्डियां नजर आने लगी थी ।
एक दिन हीरा और मोती को नीलामी के लिए ले जाया जाता है, कोई भी खरीदार उनको नहीं खरीदता अंत में एक कसाई उन्हे खरीदता है । नीलम होकर दढ़ियाल कसाई जब उन्हें अपने साथ ले जाता है तब हीरा और मोती को वह रास्ता जाना पहचाना लगता है । अब उनके कमजोर शरीर में जान आ जाती है। जल्दी से वे झुरी के घर के समीप पहुंचते हैं और तेजी से दौड़ कर अपने थान पर जाकर लग जाते हैं। झुरी उन्हें देखकर गले से लगा लेता है। यह देख कर कसाई कहता है यह मेरे बैल हैं, मैंने इन्हें खरीदा है। वह बैलों को जबरदस्ती ले जाने की कोशिश करता है। मोती और हीरा अपनी सींगो से उस कसाई को दौड़ाकर गांव से बाहर कर देते हैं। झुरी भी प्रसन्न होकर नादों में खली, भूसा, चोकर और दाना डालकर हीरा और मोती को खाने के लिए देता है दोनों मित्र अपने घर पहुंचकर उत्साह से खाते हैं और खुश हो जाते हैं।