राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है

राष्ट्रभाषा और राजभाषा |हिन्दी (Hindi)

भाषा (Bhasha) समाज की एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है, जो समाज में एक दूसरे को जोड़ने का काम करती हैं। अगर भाषा (Bhasha) ना हो तो व्यवहार करना मुश्किल है। किसी भी देश में ज्यादातर लोगों को एक दूसरे की बातों को समझाने के लिए एक ऐसी भाषा का होना आवश्यक है, जिसे उस समाज के या देश के ज्यादातर लोग समझते हों, ऐसे में हमें उस भाषा का चुनाव करना होता है जो उस देश के ज्यादातर लोगों की भाषा होती है।

भारत देश जब आजाद हुआ उस समय भारत के सामने सबसे बड़ी समस्या यही थी की कौन सी भाषा देश की भाषा बनेगी या कौन सी भाषा देश को जोड़ने का काम करेगी ऐसे में सभी के सामने जो भाषा थी, वह हिंदी थी ।

15 अगस्त 1947 में देश आजाद होने के बाद देश के सामने ये सवाल था की देश का कामकाज किस भाषा में हो, ऐसे में 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से हिंदी को देश की राजभाषा घोषित की।

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आपके मन में यह सवाल होगा कि मैंने यहां राजभाषा क्यों कहां ? आइए जानते हैं की राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर होता है:-

राजभाषा देश की वह भाषा होती है जिसमें देश की सरकार अपना सरकारी कामकाज संपन्न करती है उसे देश की राजभाषा कहते हैं। जबकि,राष्ट्रभाषा देश की उस भाषा को कहते है जो भाषा किसी देश की बड़ी जनसंख्या की भाषा हो , जिसे देश की ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या बोल सके, समझ सके और पढ़ सके उसे देश की राष्ट्रभाषा कहते हैं। अब तो आप समझ गए होंगे की हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हमारे राष्ट्र को , हमारे विचारों को, हमारी भावनाओं को जोड़ने का काम करती है।

हम सभी को अपनी उस भाषा पर गर्व होना चाइए जिससे हम अपनी भावनाओं को बता सकते है।

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