कितने प्रकार का होता हैं चंद्रग्रहंण | Type of Chandra Grahan And Sutak Kaal


सूतक काल (Sutak Kaal) ग्रहण से 9 घंटे पहले लगता है। चंद्रग्रहण (Type of Chandra Grahan) तीन प्रकार के होते हैं- पूर्ण चंद्रग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण और उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan)।


क्या आप जानते है सूतक काल (Sutak Kaal)  ग्रहण से कितनी देर पहले लगता है? सूतक काल (Sutak Kaal) ग्रहण से 9 घंटे पहले लगता है और ग्रहण खत्म होने के साथ ही सूतक काल खत्म हो जाता है। सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को नहीं किया जाता है या सूतक काल के दौरान शुभ कार्यों के करने पर रोक होता है।

Type of Chandra Grahan And Sutak Kaal
आईये जानते हैं चंद्रग्रहण कितने प्रकार के होते हैं-
चंद्रग्रहण तीन प्रकार के होते हैं (Type of Chandra Grahan) – पूर्ण चंद्रग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण और उपच्छाया चंद्रग्रहण ।

पूर्ण चंद्रग्रहण (Chandra Grahan) 
जब, चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वीं आ जाती है और जब पूरी तरह से पृथ्वीं चंद्रमा को ढक लेती है। उस समय पूर्ण चंद्र ग्रहण का कहलाता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पूरी तरह से लाल नजर आता है। लाल होने के साथ ही पूर्ण चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पर धब्बे भी साफ देखे जा सकते हैं। पूर्ण चंद्र ग्रहण स्थिति सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनती है। पूर्णिमा के दिन ही पूर्ण चंद्र ग्रहण होने की पूरी संभावना होती है।


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आंशिक चंद्रग्रहण(Chandra Grahan) 
आंशिक चंद्र ग्रहण जब होता है। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी न आकर पृथ्वी की छाया चंद्रमा के कुछ हिस्से पर पङती है। पृथ्वीं की यह छाया सूर्य और चंद्रमा के कुछ ही हिस्से पर ही पड़ने के कारण इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। आंशिक चंद्र ग्रहण का समय बहुत ही छोटा होता है।

उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan)
उपछाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वीु आती है, लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं आते हैं। ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर अंब्र नहीं पड़ती। यहां अंब्र का अर्थ होता है, पृथ्वी के बीच के हिस्से से पड़ने वाली छाया को अंब्र कहते हैं। चांद के बाकी हिस्सेट में पृथ्वीह के बाहरी हिस्सेब की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्ब्र या उपछाया कहते हैं।

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