हिन्दी में प्रचलित मुहावरे, अर्थ एवं उनका प्रयोग | Hindi Mein Prachalit Muhaavare, Arth Evan Unaka Prayog

मुहावरा लक्षणा या व्यंजना द्वारा सिद्ध वाक्य का वह प्रयोग है, जो किसी भाषा में प्रचलित हो और जिसका अर्थ प्रत्यक्ष अर्थ से विलक्षण अर्थ हो ।

हिन्दी में प्रचलित मुहावरे, अर्थ एवं उनका प्रयोग

मुहावरे-परिभाषा तथा मुहावरों की विशेषताएँ

मुहावरे को इस प्रकार परिभाषित किया गया है,

“मुहावरा लक्षणा या व्यंजना द्वारा सिद्ध वाक्य का वह प्रयोग है, जो किसी एक ही बोली या लिखी जाने वाली भाषा में प्रचलित हो और जिसका अर्थ प्रत्यक्ष अभिधेय (सीधे) अर्थ से विलक्षण अर्थ हो ।

मुहावरों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं

(1) मुहावरा प्रयोगानुसार परिवर्तनशील होता है।
(2) मुहावरा किसी भी भाषा की अमूल्य निधि है।
(3) मुहावरा वाच्यार्थ की अपेक्षा लक्ष्यार्थ और वग्यार्थपरक होता है।
(4) मुहावरों के प्रयोग से भाषा में अ‌द्भुत शक्ति आ जाती है।
(5) मुहावरा लोकभाषा की व्यापकता को रेखांकित करता है।


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हिन्दी में प्रचलित मुहावरे, अर्थ और प्रयोग

हँसी उड़ाना = कमियों पर हँसना ; कमियाँ हर व्यक्ति में होती हैं। अतः किसी को हँसी उड़ाना ठीक नहीं।

खिलखिला कर हँसना = मुक्त भाव से हँसना; कार्टून फिल्म देखकर बच्चे खिलखिला कर हँस पड़े ।

सीवन उधेड़ना = छिपी बातों को सामने लाना; दूसरों की सौवन उधेड़ने में बड़ा मजा लेते हो, जरा अपने अंदर झाँककर भी तो देखो, कितनी गंदगी भरी पड़ी है।

हृदय में विद्युत होना = आशा और उत्साह से पूर्ण होना; हृदय में विद्युत होने पर ही कवि समाज को सकारात्मक क्रान्ति का संदेश दे सकता है।

आँख हटाए न हटना = नेत्रों का मुग्ध हो जाना; मंदिर में श्रीकृष्ण की प्रतिमा इतनी सुन्दर थी कि उस पर से आँखें हटाए नहीं हट रही थीं।

मृतक में भी जान डाल देना = मुर्दा दिलों को भी जीवित कर देना; नीरस हृदय में भी सरसता का भाव जगा देना- उस संत के तेजस्वी मुखमण्डल से निकलती शब्दावली मृतकों में भी जान डाल देने वाली थी।


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पाषाण पिघल जाना= कठोर व्यक्ति का द्रवित हो जाना; एकमात्र पुत्र की दुर्घटना में मृत्यु होने पर माँ का विलाप पाषाण को भी पिघलाने वाला था।

आँख फेर लेना = दृष्टि हटा लेना; लड़की को अपनी दुर्दशा पर लज्जित होते देखकर हमने अपनी आँखें फेर ली।

कनखी मारकर देखना = (कनखियों से देखना) तिरछी नजर से देखना; ट्रेन पर बढ़ते हुए वह लड़का मुझे बार-बार कनखियों से देख रहा था, जैसे मुझे पहचान रहा हो।

आँखें चार होना = नजरें मिलाकर देखना; प्रेम हो जाना मंदिर के आँगन में मीरा की श्रीकृष्ण से आँखें चार हो गई।

मृगतृष्णा होना = भ्रम होना, मिथ्या होना ; सांसारिक सुख केवल मृगतृष्णा है क्योंकि इनसे कभी संतुष्टि नहीं

धुँधले प्रकाश की पाठिका होना =अस्पष्ट समझ होना

गला बैठना = स्पष्ट न बोल पाना; रात भर गाने से उसका गला बैठ गया है।

ढाँड्स बढ़ाना = उत्साह बढ़ाना, धैर्य दिलाना; सच्चा मित्र घोर संकट में भी ढाँड्स बंधाता है और हिम्मत नहीं हारने देता ।

आँखों ही आँखों में हँसना = आँखों से ही हँसी का भाव प्रकट होना; लड़कों के बेतुके संवादों और चेष्टाओं को देखकर लड़‌कियाँ आँखों ही आँखों में हँस रही थीं।

बत्तीसी दिखाना = जोर से हँसना, पूरे दाँतों का दिखाई देना; उसका तम्बाकू और पान से कुरूप बत्तीसी दिखा-दिखा कर हँसना बड़ा अशोभनीय लग रहा था।

सब कुछ होम देना = सर्वस्व बलिदान कर देना; देशभक्तों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ होम कर दिया।

आँखें भर आना = दुःखी हो जाना; भिखारिन की दशा देखकर वहाँ खड़े हर व्यक्ति की आँखें भर आई।


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दो टूक बात करना= साफ-साफ कहना; कथनी और करनी में अंतर रखने वालों की मीठी-मीठी बातों से दो टूक बात करने वाला व्यक्ति अच्छा होता है क्योंकि वह विश्वसनीय होता है।

खरा व्यवहार करना = निष्कपट या खुला आचरण; विश्वनाथ के खरे व्यवहार करने के कारण सभी उस पर विश्वास करते हैं।

झगड़ा मोल लेना = जान-बूझकर झगड़ा करना ; झगड़ा मोल लेना श्रीकान्त की आदत है। अतः सभी सहपाठी उससे कतराते हैं।

गुजर चलाना = आवश्यकताएँ पूरी करना; आज की महँगाई में सामान्य आदमी को परिवार की गुजर चलाना बड़ा कठिन हो गया है।

शब्दों का ताँता लगना = निरंतर बोलते जाना ; एक बार पूनम बोलने लगे तो फिर उसके मुँह से शब्दों का ताँता लग जाता है। सुनने वाला भले परेशान हो जाएँ पर उसका मुँह बंद नहीं होता ।

आसन जमा लेना = बैठ जाना; मैंने साधु को नमस्कार क्या किया उसने तो मेरे द्वार पर ही आसन जमा लिया,पीछा छुड़ाना कठिन हो गया।

दिन-दिन छीजना = निरंतर दुर्बल होते जाना; बुढ़ापे और बीमारी के कारण उसका शरीर दिन-दिन छीजता जा रहा है।

आँखें चुरा लेना = जानकर भी न देखना ; मंच पर स्थान मिलने पर सुहास ने नीचे बैठे साथियों से आँखें चुरा ली।

शौक फरमाना = शौक पूरा करना; महंतजी दूर ढाबे पर जाकर बीयर और बिरयानी का शौक फरमा रहे थे लेकिन कुछ परिचित नजरों ने उन्हें पकड़ ही लिया ।

असलियत पर उतर आना = स्वाभाविक रूप में आ जाना ; कुछ दूर चलते ही दोनों युवक असलियत पर उतर आए और यात्रियों को लूटना आरम्भ कर दिया ।

मुँह में पानी भर आना = खाने की प्रबल इच्छा होना, खाने को ललचाना; कुशाग्र ने जब टिफिन से पूरी-कचौड़ी और अचार निकाला तो मेरे मुँह में भी पानी भर आया ।

ज्ञान-चक्षु खुलना = वास्तविकता का पता चलना, ज्ञान के भीतरी नेत्र खुलना; गुरु की कृपा से जब शिष्य के ज्ञान-चक्षु खुल जाते हैं तभी उसे संसार की वास्तविकता का पता चलता है ।

हाथ से जाना = नियंत्रण न रहना, दूर हो जाना; राकेश के हाव-भाव और व्यवहार देखकर पिता ने माँ से कहा कि लड़का हाथ से गया ।

हाशिये पर चले जाना = महत्व या प्रभाव कम हो जाना ; अपने अहंकारी स्वभाव के कारण नेताजी धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए, पार्टी में उनका कोई प्रभाव नहीं रहा ।

आँख मूंदकर विश्वास करना = बिना सोचे-विचारे विश्वास कर लेना ; जो आँख मूँदकर सब परं विश्वास कर लेते हैं वे एक दिन गहरा धोखा खाते हैं ।

चपेट में आना = अकारण कष्ट में पड़ना; पिताजी को क्रोध तो नीरज के ऊपर आ रहा था लेकिन माँ भी उसकी चपेट में आ गई।

तुक्का लगना = संयोगवश सफलता मिल जाना; प्रभा के प्रथम श्रेणी में पास होने की उम्मीद किसी को न थी लेकिन उसका तुक्का लग गया ।

गड़ने-गड़ने को होना = बहुत लज्जित होना; जब समीर के कारनामों की सभी मित्रों के सामने पोल खुली तो वह गड़ने-गड़ने को हो गया ।

होश सँभालना = समझदारी आना; मैंने तो जब से होश सँभाला है माँ और पिताजी को झगड़ते ही देखा है।

जड़ जमाए बैठा रहना = स्थायी रूप से बने रहना; बहुत-से विचार हमारे अवचेतन मन में जड़ जमाएं बैठे रहते हैं और परिस्थितिवश प्रकट होकर हमें चकित कर देते हैं।

नुस्खे जुटाना = कार्य में निपुण करना; आजकल शुक्लाजी अपने पुत्र को कुशल व्यापारी बनाने के नुस्खे जुटाने में लगे हुए हैं।

आग बबूला होना = अत्यन्त क्रोधित होना; तुषार तो संतोष से पहले ही चिढ़ा हुआ था आज उसकी बकवास को सुनकर वह आग बबूला हो गया ।

मुँह दिखाने लायक नहीं रखना= बहुत बदनामी करा देना; यह लड़का चोरी करता पकड़ा गया, इसकी इस करतूत ने हमें मुँह दिखाने लायक नहीं रखा ।

कहर बरपाना = भारी क्रोध प्रदर्शित करना; यदि पिताजी को हमारे इस कुकृत्य का पता चल गया तो वह कहर ही बरपा देंगे।

गुबार निकल जाना= मन के भाव प्रकट हो जाना; राजेश को खरी-खरी सुनाकर सर्वेश ने मन का गुबार निकाल लिया।

लू उतारना = खरी-खोटी सुनाना ; आज यशपाल में सदाकान्त की करतूतों का चि‌ट्टा खोलकर उसकी अच्छी तरह लू उतार दी।

मत मारी जाना = बुद्धि का काम ना करना ; लगता है तुम्हारी मत मारी गई है तभी ऐसी उटपटांग बात कर रहे हो ।

आग लगाना = भड़काना; कुछ लोगों को इधर की उधर भिड़ाकर आग लगाने में मजा आता है।

थू थू करना= धिक्कारना; सारा मोहल्ला गगन के ओजे व्यवहार पर थू-थू कर रहा है।


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राहत की साँस लेना= मन को चैन मिलना; संकट टल जाने से पूरा घर राहत की साँस ले रहा था।

ककहरा पढाना= आरम्भिक शिक्षा देना; आज भी ऐसे नासमझ लोग हैं जो स्त्रियों को ककहरा पढ़ाना भी पाप समझते हैं।

छक्के छुड़ाना = बेहाल कर देना, हरा देना; अभिमन्यु ने अपने पराक्रम से महाभारत के युद्ध में बड़े-बड़े वीरों के छक्के छुड़ा दिये ।

किस चिड़िया को कहना= अपरिचित होना; अभी बच्चे हो। तुम क्या जागो कि पैसे कमाना किस चिड़िया को कहते हैं ?

ख़ारिज करना= अस्वीकार करना, त्याग देना; इष्टरव्यू में साठ लड़कों में से केवल सत्रह ही चुने गए बाकी सबको चयनकर्ताओं ने खारिज कर दिया।

सिर चढ़कर बोलना = पूरी तरह प्रभावित कर देन; संत का भाषण सभी श्रोताओं के सिर चढ़कर बोल रहा था। सभी एकाग्रचित्त होकर उनके शब्दों को सुन रहे थे।

सरताज हो जाना = सबसे श्रेष्ठ हो जाना; कुशल कलाकार अपनी कला के बल पर ही सबका सरताज हो जाता है ।

इतिहास बन जाना = पुराना हो जाना, भुला दिया जाना ; समय बदलने पर समाज में प्रचलित अनेक परंपराएँ इतिहास बन जाती हैं।

अग्नि देवता से साक्षात होना = अग्नि का आविष्कार होना ; यह कहना कठिन है कि मानव ने अग्यि देवता का साक्षात् सर्वप्रथम कब किया ।

घर-घर चूल्हा जलना = भोजन पकाया जाना; ईंधन की उपलब्धता से ही घर-घर चूल्हा जलता है। ईंधन का जीवन में बहुत महत्व है।

भाग्यविधाता होना = निर्माता, भविष्य का निर्णायक; कोई भी शासक भारत का भाग्य विधाता नहीं हो सकता। केवल जनता ही भारत के भाग्य की निर्माता है।

अंकुश में रखना =नियंत्रण में रखना; सीताराम अपने सभी बच्चों को अंकुश में रखता है, मनमानी करने की छूट नहीं देता।

अंगारे बरसना = बहुत गर्मी होना; ज्येष्ठ मास’ में ऐसा लगता है मानो आसमान से अँगारे बरस रहे हों।

अंगारों पर चलना =समझते हुए भी खतरा उठाना; देश की स्वतन्त्रता के लिए भारत माँ के लाल अँगारों पर चले।

अँगूठा दिखाना = निर्धारित समय पर इंकार करना; पाकिस्तान के मदद माँगने पर अमेरिका ने उसे अँगूठा दिखा दिया।

अँधेरे घर का उजाला होना= घर में एकमात्र पुत्र होना; राहुल अँधेरे घर का उजाला है।

अक्ल पर पत्थर पड़ना = मूर्खतापूर्ण आचरण करना; मेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गये थे जो मैंने शेयर मार्केट में सब पैसा डुबो दिया।

अन्धे के हाथ बटेर लगना = अयोग्य व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण सफलता या वस्तु मिल जाना; मोहन निरा मूर्ख है, पर पिताजी के निधन के पश्चात् वह लाखों का वारिस बन गया। यह तो अन्धे के हाथ बटेर लग गई ।

अपना उल्लू सीधा करना= अपना स्वार्थ सिद्ध करना; राजनीति में हर व्यक्ति अपना उल्लू सीधा करने में लगा है।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना =सबसे अलग रहकर कार्य करना ; हरी किसी के साथ मिलकर नहीं रह सकता, वह अपनी खिचड़ी अलग पकाता रहता है।

अपने हाथ से अपनी कब्र खोदना = अपनी अवनति का कारण स्वयं बनना ; भ्रष्टाचार के विरुद्ध कानून बनवाकर भ्रष्टाचारी नेता कानून के शिकंजे में आ ही गए, यह तो अपने हाथ से अपनी कब्र खोदने जैसा है।

आँखें चार होना = प्रेम होना ; ज्यों ही सलीम की अनारकली से आँखें चार हुई, वह अपनी सुध-बुध खो बैठा।

अमृत बरसाना = सबको सुख देना या आनन्दित करना ; कवि सम्मेलन में अनेक कवियों ने अपने काव्य-पाठ से अमृत बरसाया।

आँखें बदलना = घोषित पक्ष से हट जाना; राजनीति में किसी के भी प्रति, किसी को आँखें बदलते देर नहीं लगती।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना = अपनी प्रशंसा आप करना ; आजकल हर राजनैतिक दल अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बन रहा है।

आंखे बिछाना = अत्यन्त उत्साह से स्वागत करना ; अन्ना हजारे के अनशन से वापस आने पर देशवासियों ने उनके स्वागत में आँखें बिछा दीं।

इधर-उधर की लगाना = चुगली करना ; अब इधर-उधर की लगाना छोड़ दो, वरना कहीं भी सम्मान नहीं मिलेगा।

आँखों का तारा होना = बहुत प्रिय होना ; प्रत्येक सपूत अपनी माता की आँख का तारा होता है।

आग में घी डालना = उत्तेजित करना ; जैसे-तैसे मामला ठंडा हुआं था कि सोहन ने आकर आग में घी डाल दिया।

आँखों में खून उत्तरना = अत्यधिक क्रोध आना ; शत्रु को देखते ही उनकी आँखों में खून उतर आया।

आग-बबूला होना = अत्यधिक क्रोधित होना ; विद्यार्थी द्वारा ऊँची आवाज में बात करने पर प्रधानाचार्य आग बबूला हो गया।

आँखों में धूल झोंकना = घोखा देना ; शातिर से शातिर अपराधी भी अधिक समय तक पुलिस की आँखों में धूल नहीं झोक सकता ।

आकाश-पाताल एक करना = अत्यधिक परिश्रम करना ; परीक्षा में प्रथम श्रेणी ऐसे ही नहीं आती, उसके लिए आकाश-पाताल एक करना पड़ता है।

आँखों में रात काटना = रात्रि जागरण ; राजा दशरथ ने चिन्ता के कारण आँखों में रात काट दी।

आकाश के तारे तोड़ना = असम्भव कार्य करना ; वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर आकाश के तार तोड़ लिए।

आँखों से गिर जाना = सम्मान खो देना ; अनैतिक कार्यों से व्यक्ति एक न एक दिन सभी की आँखों से गिर जाता है।

आग लगने पर कुआँ खोदना = आपत्ति आने के बाद उससे बचने हेतु प्रयत्न करना ; जब घर में कुछ भी नहीं बचा, तब नौकरी की तलाश में निकले। आग लगने पर कुआँ खोदने से क्या लाभ ?

आँखें पथरा जाना = राह देखते-देखते थक जाना ; बेटे की प्रतीक्षा करते-करते माँ की आँखें पथरा गई ।

इधर की दुनिया उधर होना = अनहोनी घटना घटित होना ; उसने अपने मित्र से कह दिया कि चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाए, मैं गलत कार्य में तुम्हारा साथ नहीं दे सकता ।

इस कान से सुनना उस कान से निकालना = ध्यान न देना ; परनिंदा करने वालों की बात इस कान से सुनकर उस कान से निकाल देनी चाहिये ।

ईद का चाँद होना = बहुत समय बाद दिखाई देना ; विवाह क्या हुआ, तुम तो ईद के चाँद हो गये, दिखाई ही नहीं पड़ते।

ईंट का जवाब पत्थर से देना = कड़ा मुकावला ; डाकुओं को जब ईंट का जवाब पत्थर से मिला तभी उन्होंने डकैती डालने का इरादा छोड़ दिया।

ईंट से ईंट बजाना = समूल नाश ; अपनी बहुमूल्य वस्तुएँ प्राप्त करने के लिए उन्होंने चोरों के घर की ईंट से ईट बजा दी।

ईश्वर का प्यारा होना = मर जाना ; बस दुर्घटना में दिल्ली में तीस बच्चे ईश्वर को प्यारे हो गये।

उंगली पर नचाना = इशारे पर कार्य कराना ; आज समाज के मुट्ठी भर सम्पन्न और शक्तिशाली लोग पूरे समाज को उँगलियों पर नचा रहे हैं।

उड़ती चिड़िया के पर गिनना = भीतर तक की बातें जान लेना ; तुम चतुर बनते हो तो हमने भी बाल धूप में सफेद नहीं किए है। हम भी उड़ती चिड़िया के पर गिन लेते हैं।

उल्टी गंगा बहाना = विरुद्ध बाते करना ; यह कैसी उल्टी गंगा बहा रहे हैं आप, स्वागत तो हमको आपका करना चाहिए।

एक न चलने देना = किसी भी बात को न मानना ; – विवाह के अवसर पर पुत्र ने अपने माता-पिता की एक न चलने दी और दहेजरहित विवाह किया।

ऊँट के मुंह में जीरा होना = अल्प मात्रा में सामग्री ; हजारों बाढ़ पीड़ितों के लिए पाँच सौ रुपये की सहायता ऊँट के मुँह में जीरा थी।

एक लाठी से सबको हांकना = बिना सोचे-समझे व्यवहार करना ; – शक्ति के घमंड में सभी को एक लाठी से नहीं हाँकना चाहिये ।

एड़ी-चोटी का जोर लगाना = बहुत मेहनत करना; निर्धन व्यक्ति परिवार की उन्नति के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं।

एक आँख न भाना = बिल्कुल अच्छा न लगना ; भ्रष्टाचारियों को बाबा रामदेव का आन्दोलन एक आँख नहीं भाया।

कठपुतली बनना = दूसरों के इशारे पर चलना ; उच्च पदस्थ अधिकारी नेताओं के हाथ की कठपुतली बने हुए हैं।

कदम लड़खड़ाना = डावांडोल स्थिति होना ; रात में देर से घर आने पर, पिता को सामने खड़ा देखकर शुभम् के कदम लड़खड़ा गये।

कमर कसना = दृढ़ निश्चय करना ; अगर पढ़ाई के लिये अभी से कमर कस लो तो सफलता अवश्य मिलेगीं।

कमर सीधी करना = आराम करना ; तुमने बहुत परिश्रम करके कार्य पूरा किया है, अब जरा कमर सीधी कर लो।

करवटें बदलना = अत्यधिक बेचैनी अनुभव करना ; वह अपने भविष्य के बारे में सोचते हुए रातभर करवटें बदलता रहा।

कलई खोलना = वास्तविकता बताना ; पुलिस द्वारा पकड़े गये चोर ने अन्य साथियों की कलई खोल दी ।

कलम तोड़ना = बहुत अच्छा लिखना ; नारी संवेदनाओं पर महादेवी वर्मा तो कलम तोड़ लिखती थीं ।

कलेजा फटना = घोर दुःख होना ; बाढ़ पीड़ितों की दयनीय स्थिति देखकर हमारा कलेजा फटने लगा ।


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कलेजे पर साँप लोटना = मन में कष्ट होना ; क्रिकेट में भारत के द्वारा विश्व कप जीतने पर प्रतिद्वन्द्वी टीम के कलेजे पर साँप लोटने लगा।

कान कतरना = चतुरतापूर्ण बातों से प्रभावित करना ; राकेश है तो बालक, किन्तु बड़े-बड़ों के कान कतरता है।

कसौटी पर कसना = परीक्षा लेना ; विपत्ति की कसौटी पर कसने से ही अपने पराये का पता लगता है।

कान में तेल डालना = किसी की बात न सुनना ; मैंने तुमसे कितना कहा कि परिश्रम करो, किन्तु तुमने कान में तेल डाल रखा था।

कानों-कान खबर न होना = किसी को पता न लगना ; वार्षिक परीक्षा के प्रश्न-पत्र कल शाम तक विद्यालय में आ जायेंगे किन्तु इस बात की किसी को कानों-कान खबर न हो ।

किस खेत की मूली होना = निरर्थक या महत्त्वहीन होना ; मैंने बड़े-बड़े बदमाशों को ठीक कर दिया, तुम किस खेत की मूली हो ?

कुत्ते की मौत मरना = कष्ट पाकर मरना ; उसने इतने पाप किये थे कि कुत्ते की मौत मरा।

कान पर जूँ न रेंगना = परवाह न करना ; भ्रष्टाचार के विरोध में कब से आवाजें उठ रही हैं लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती है।

कोल्हू का बैल होना = निरन्तर मेहनत करते रहना हमारे देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ आज भी महिलाएँ कोल्हू के बैल की तरह जुटी रहती हैं।

खटाई में पड़ना = खतरे में पड़ना ; रिश्वत लेने के कारण उसकी नौकरी खटाई में पड़ गयी ।

खरी-खोटी सुनाना = बुरा-भला कहना ; नौकर के तनिक-सी देर से पहुँचने पर राम ने उसे खूब खरी-खोटी सुनाये।

खाक डालना = भूल जाना ; उन्होंने पुरानी दुश्मनी पर खाक डाल दी।

खून का प्यासा होना = कट्टर शत्रु बनना ; आतंकवादी शान्तिप्रिय नागरिकों के खून के प्यासे हो रहे हैं।

खून-पसीना एक करना = अत्यधिक परिश्रम करना ; ईमानदार व्यक्ति खून-पसीना एक करके अपना पेट पालते हैं।

खेत रहना = युद्ध में में मारे जाना ; कारगिल युद्ध में हमारे अनेक वीर सैनिक खेत रहे।

खेल बिगड़ जाना = जीवन अव्यवस्थित हो जाना ; गृहस्वामिनी की मृत्यु के कारण सभी पारिवारिक सदस्यों का सारा खेल ही बिगड़ गया।

दाँत से कौड़ी पकड़ना = बहुत कंजूस होना ; वह ऐसा कंजूस है कि दाँत से कौड़ी पकड़ता है।

दाँतों तले उंगली दबाना = आश्चर्य करना ; सर्कस में शेर के नीचे लड़की को देखकर दर्शकों ने दाँतों तले उँगली दबा ली।

दाल में काला होना = सन्देहपूर्ण स्थिति ; उसके पास धन नहीं है, किन्तु वह बहुत बड़ी योजना बनाकर काम कर रहा है। जरूर कुछ दाल में काला है।

मैदान मारना = लड़ाई जीतना ; भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सैनिकों ने मैदान मार लिया।

रोड़े अटकाना =बाधा डालना ; अमरेश सदैव सुरेश के काम में रोड़े अटकाता है ।

रोंगटे खड़े होना = भय से रोमांचित होना ; बन्दूक सहित आतंकवादियों को आता देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए ।

लकीर पीटना = पुरानी रीति पर चलना ; रीति-रिवाजों की लकीर पीटने से क्या लाभ, समय के साथ बदलना चाहिये।

लम्बी हाँकना = डींग मारना ; उसके पास कुछ भी नहीं है, पर वह हर समय लम्बी हाँकता है।

लाल-पीली आँखें करना = नाराज होना ; जब मैंने राम के पिता से उसकी चोरी की शिकायत की, तो वह उल्टे मुझ पर ही लाल-पीली आँखें करने लगे।

हाथ धोकर पीछे पड़ना = अधिक आग्रह करना ; नेताजी तुम्हारे कार्यक्रम में नहीं आ सकते, तुम हाथ धोकर पीछे क्यों पड़ रहे हो ?

हाथ-पाँव फूल जाना = भय या शोक से घबरा जाना ; हथियारबन्द डाकुओं को देख पुलिसवालों के हाथ-पाँव फूल गये।

हाथ पीले करना = लड़की का विवाह करना ; भारत में कन्या भ्रूण हत्या का एक बड़ा कारण बेटी के हाथ पीले करने की चिंता भी है।

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