मेक इन इंडिया / भारत में औद्योगिक क्रांति ,हिंदी निबंध | Mek In India / Bhaarat Mein Audyogik Kraanti ,Hindi Nibandh

मेक इन इंडिया / भारत में औद्योगिक क्रांति

मेक इन इंडिया देश में स्वदेशी उद्योगों के निरंतर विकास का सूचक तो होता ही है साथ ही हर भारतीय को आत्मविश्वास से भरने वाला भी होता है।

मेक इन इंडिया / भारत में औद्योगिक क्रांति इस निबंध में हम निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत बात करेंगे –

(1) भूमिका, (2) सम्पन्नता क्यों? (3) धनोपार्जन और उद्योग, (4) मेक इन इंडिया, (3) विदेशी पूँजी की जरूरत, (6) पूँजी के साथ तकनीक का आगमन ।

भूमिका

वस्तुओं पर “मेड इन इंडिया” की छाप देख हमारा मन गर्व से भर जाता है। यह देश में स्वदेशी उद्योगों के निरंतर विकास का सूचक तो होता ही है साथ ही हर भारतीय को आत्मविश्वास से भरने वाला भी होता है। किन्तु हमारे प्रधानमंत्री जी ने इसके साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ नारा भी दिया है, जिसका आशय है विदेशी निवेशकों को भारत में उद्योग स्थापित करने के लिए आमंत्रण देना। औद्योगिक प्रगति और संपन्नता की दृष्टि से यह एक नई सोच है।

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सम्पन्नता क्यों –

प्रश्न उठता है कि मनुष्य सम्पन्न होना क्यों चाहता है ? हमारे जीवन में अनेक आवश्यकताएँ होती हैं। उनकी पूर्ति के लिए साधन चाहिए। ये साधन हमको सम्पन्न होने पर ही प्राप्त होंगे। आवश्यकता की पूर्ति न होने पर हम सुख से नहीं रह सकते। अतः धन कमाना और सम्पन्न होना आवश्यक है।

धनोपार्जन और उद्योग –

धन कमाने के लिए कुछ करना होगा, कुछ पैदा भी करना होगा। कृषि और उद्योग उत्पादन के माध्यम हैं। व्यापार भी इसका एक साधन है। हम कुछ पैदा करें, कुछ वस्तुओं का उत्पादन करें यह जरूरी है। देश को आगे बढ़ाने और समृद्धिशाली बनाने के लिए हमें अपनी आवश्यकता की ही नहीं, दूसरों की आवश्यकता की वस्तुएँ भी बनानी होंगी।

मेक इन इंडिया

आजकल छोटे-छोटे देश अपने यहाँ उत्पादित वस्तुओं का विदेशों में निर्यात कर अपनी समृद्धि बढ़ा रहे हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में नष्ट हुआ जापान स्वदेशी के बल पर ही अपने पैरों पर खड़ा हो सका है। भारत के प्रधानमंत्री
मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ का नारा दिया है। इसका उद्देश्य विदेशी पूँजी को भारत में आकर्षित करना तथा उससे यहाँ उद्योगों की स्थापना करना है। इन उद्योगों में बनी वस्तुएँ भारत में निर्मित होंगी। उनको विश्व के अन्य देशों के बाजारों में बेचा जायेगा। इससे धन का प्रवाह भारत की ओर बढ़ेगा और वह एक समृद्ध राष्ट्र बन सकेगा।

विदेशी पूँजी की जरूरत-

उद्योगों की स्थापना तथा उत्पादन करने और उसकी वृद्धि करने के लिए पूँजी की आवश्यकता होगी ही। अभी भारत के पास इतनी पूँजी नहीं हैं कि वह अपने साधनों से बड़े-बड़े उद्योग स्थापित कर सके तथा उन्हें संचालित कर सके। हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं कि विदेशों में रहने वाले सम्पन्न भारतीय तथा अन्य उद्योगपति भारत आयें और यहाँ पर अपनी पूँजी से उद्योग लगायें। उत्पादित माल के लिए उनको भारतीय बाजार तो प्राप्त होगा ही, वे विदेशी बाजारों में भी अपना उत्पादन बेचकर मुनाफा कमा सकेंगे। उससे भारत के साथ ही उनको भी लाभ होगा।

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पूँजी के साथ तकनीक का आगमन – प्रधानमंत्री जानते हैं कि भारत को पूँजी ही नहीं नवीन तकनीक की भी आवश्यकता है। वह विदेशी उद्योगपतियों को भारत में उत्पादन के लिए आमंत्रित करके पूँजी के साथ नवीन तकनीक की प्राप्ति के द्वार भी खोलना चाहते हैं। यह सोच उनकी दूरदृष्टि को प्रकट करने वाली है। बच्चा चलना सीखता है, तो उसको किसी की उँगली पकड़ने की आवश्यकता होती है। फिर तो वह सरपट दौड़ने लगता है। भारत भी कुशल उद्योगपतियों के अनुभव का लाभ उठाकर एक शक्तिशाली औद्योगिक देश बन सकता है।

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