राम भक्त रामानंद के विषय में प्रमुख बिंदु | Raam Bhakt Raamaanand Ke Vishay Mein Pramukh Bindu

हिंदी में रामभक्ति के पुरस्कर्ता रामानंद है। आचर्य शुक्ल के अनुसार भक्ति को दक्षिण से उत्तर में लाने का काम

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आलवार संत कौन थे और इनकी संख्या कितनी थी | Aalavaar Sant kaun the aur inakee sankhya kitanee thee

आलवार, मुख्यतः विष्णु भक्त थे। आलवार का शाब्दिक अर्थ मग्न होना होता है। माना जाता है दक्षिण में आलवारों की

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हिन्दी साहित्य के प्रमुख रासो ग्रन्थ | Major Raso texts of Hindi literature

आदिकाल में प्रशस्ति-काव्य को ही ‘रासो’ कहा गया।यही प्रबंध काव्य परंपरा हिन्दी साहित्य में’रासो’ के नाम से पाई जाती है। 

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धर्म/साधना के विषय में आचार्य शुक्ल जी के मत तथा रहस्यवाद के भेद | Acharya Shukla ji’s views on religion/sadhana and the differences in Mysticism

“धर्म का प्रवाह कर्म, ज्ञान और भक्ति, इन तीन धाराओं में चलता है। इन तीनों के सामंजस्य से धर्म अपनी

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प्राचीन नाटक और आधुनिक नाटक में अन्तर | Difference between ancient drama and modern drama

नाटक- नाटक काव्य का एक रूप है जो श्रवण द्वार ही नहीं अपितु दृष्टी द्वार भी दर्शको का  मनोरंजन करती

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संज्ञा किसे कहते है और इसके कितने भेद है | What is a noun and how many types are there?

संज्ञा किसे कहते है (What is a noun and how many types are there?) • किसी भी वस्तु, व्यक्ति, भाव,

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सर्वनाम किसे कहते है और इसके कितने भेद है | What is a pronoun and how many types are there?

सर्वनाम किसे कहते है (What is a pronoun and how many types are there?) • संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त

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मोचीराम कविता | लेखक-सुदामा पाण्डे धूमिल (Mochiram poem Author-Sudama Pandey Dhumil)

मोचीराम कविता | लेखक-सुदामा पाण्डे धूमिल (Mochiram poem Author-Sudama Pandey Dhumil) आदमी की कीमत हर दृष्टि से अलग-अलग होती है

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हिन्दी साहित्य में सन्त काव्य की प्रमुख विशेषताएं | Main features of saint poetry in Hindi literature

सन्त कवि निर्गुणोपासक थे। वे ईश्वर को निर्गुण, निराकार, एवं सर्वव्यापी मानते हैं वे ईश्वर निर्गुण को राम, हरि नामों

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भारतीय धर्म-साधना में सन्त कवियों का स्थान

यह कहा जा सकता है कि सन्तकाव्य अकृत्रिम, सहज एवं गौरव का भाव से भरा हुआ है। समाज के प्रति

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