हम खुद को कैसे खुश रखे।

”विचार और बदलाव” हम हमेशा बदलाव क्यों चाहते है? क्या है इसके पीछे का रहस्य?

Thought of change, अपने  विचारों  को उच्च कैसे बनायें ? जो हमारे पास है उतने में हम कैसे खुश रह सकते है। हम खुद को कैसे खुश रखे।

khud ko khush kaise rakhe,khush kaise rahe

हम खुद को कैसे खुश रखे।

हम अकसर समझ नही पाते ना की हम साथ होते है तो अकेले होने में खुशी क्यों समझते है और जब अकेले होते है तो साथ होने में हमें सकून क्यों मिलता है। हम में से ज्यादातर लोग ऐसे है जो जानते नही समझ नही पाते की हमें अकेला रहना पसंद आ रहा है या साथ रहना। हाँ पर हम सभी ये जरूर समझ जाते है अकेले और साथ रहने में जो बात समान है वो ये की हम बस खुद को खुश करना चाहते है अब वो खुशी ना तो हमारे अकेले रहने में ना ही साथ रहने में, वो सिर्फ बदलाव में है हमें जब भी ऐहसास होने लगता है हमारा जीवन एक पल के लिए भी रूक गया है तो हम परेशान हो जाते है और जो कर रहे उससे अलग करना चाहते है, हालकि हम हमेशा ऐसा नहीं करते, और ऐसा जब होता है जब हम अपने जीवन में एक बङे बदलाव पर कार्य करते है और उस पर ही ध्यान देते है जब हमारा लक्ष्य बङा हो तो हम कभी छोटे-छोटे बदलाव में अपना समय बेकार नहीं करना चाहते । ये बात तो बदलाव की है इन बातो से हम ये समझ सकते है बदलाव सभी के जीवन में आवश्यक है पर कितना और कब वो व्यक्ति के लक्ष्य पर निर्भर करता है। हाँ ऐ बदलाव शून्य हो सकता है जब लक्ष्य शून्य हो जाये अर्थात की आपकी चेतना ईश्वर के नजदीक हो जाये। परन्तु कई बार हम समझ नहीं पाते और शून्य चेतना पाने के लिए खुद को किलष्ट कर देते। इसका कारण है हमारे बदलाव और हमारे लक्ष्य में सही समान्यव्य का ना होना या विषय का पूर्ण ज्ञान ना होना।

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