Ishvar | ईश्वर अच्छे है, क्या ईश्वर की मदद पाने के लिए ये जताना जरूरी है?
Ishvar | ईश्वर अच्छे है, क्या ईश्वर की मदद पाने के लिए ये जताना जरूरी है?
Ishvar | ईश्वर अच्छे है, क्या ईश्वर ( Ishvar )की मदद पाने के लिए ये जताना जरूरी है? ये प्रश्न जितना आम है इसका उत्तर उतना ही आसान है। लेकिन हमने इसके आसान से उत्तर को इतना जटिल बना दिया है कि हम समझ ही नहीं पाते कि इस प्रश्न का सही उत्तर क्या है।
ईश्वर (Ishvar ) अच्छे है, क्या ईश्वर (Ishvar ) की मदद पाने के लिए ये जताना जरूरी है? चालिए इस प्रश्न पर विचार करते हैं –
क्या हमें अपने माता –पिता से मदद पाने के लिए उन्हें ये जताने की जरूरत होती है की वो अच्छे ? या, क्या जब हम उन्हें ये जातते हैं कि वो अच्छे तब ही वो हमारी मदद करते हैं ? क्या ऐसा है ? अगर कभी आप इन प्रश्नों पर विचार करें तो आपको उत्तर स्वंय मिल जाएंगें।
जिस प्रकार हमारे माता –पिता बिना किसी उम्मीद के हम से प्यार करते हैं या हमारे बिना किसी प्रतिक्रिया के हमारा पालन-पोषण करते हैं, ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी हम सब का ख्याल रखते हैं।
जिस प्रकार माता –पिता के लिए हम उनकी संतान हैं, उसी प्रकार हम सभी ईश्वर की संतान हैं।
जैसे हमें अपने माता –पिता के सामने कभी ये जताने की या पाखण्ड करने की अवश्कता नहीं होती है की हम उन्हें मानते हैं या नहीं, उसी प्रकार ईश्वर के सामने भी हमें पाखण्ड करने की अवश्कता नहीं होती है। जिस प्रकार हमारे माता –पिता अपने प्रेम के कारण हमारा पालन- पोषण करते हैं और हम उनसे अपने प्रेम के कारण उनका आदर सम्मान करते है और उनके साथ रहना पसंद करते हैं, ठीक उसी प्रकार ईश्वर हम सबसे प्रेम करते हैं और हमारा पालान – पोषण करते है। इसलिए हमें भी ईश्वर से प्रेम करना चाहिए और उनका आदर करना चाहिए।
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Ishvar Prem | ईश्वर भाव के भूखे होते हैं-
जिस प्रकार एक माता –पिता अपने बच्चे से केवल भाव के भूखे होते हैं उसी प्रकार ईश्वर भी भाव के भूखे होते हैं जो की पूरे संसार के माता –पिता हैं।
ईश्वर दिखावा करने के लिए नहीं कहते हैं, वो कभी नहीं कहते की तुम मुझे मानते हो तो पाखण्ड करो या आडम्बर करों वो तो केवल निश्छच्ल भाव रखनें के लिए कहते है। निश्छच्ल भाव में कभी भी आपको ये अवश्क ही नहीं होता की आप ईश्वर से कितना प्यार करते हैं, आप उसका प्रमाण दूसरों को दें।
Ishvar Prem | प्यार प्रमाण से नहीं भाव से सम्भव हैं-
जहां आपको ईश्वर से प्रेम करने के लिए वस्त्रों के दिखावे और लोगों के सामने अपने ईश्वर प्रेम को प्रमाणित करने की जरूरत पङे तो समझ लें की आपको ईश्वर से प्रेम नहीं है, बल्कि आप अपने मन को और दूसरे लोगों को ठग रहे हैं। क्योंकि भाव रहित प्रेम को ही प्रमाण की अवश्कता पङती है। जिस प्रेम को प्रमाण की अवश्कता हो वो प्रेम नहीं ठग होता है। अगर आप के मन में ईश्वर के प्रति सच्चे भाव हैं तो आपको ये प्रमाणित करने की आवश्कता नहीं की, ईश्वर अच्छे हैं या नहीं।
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Ishvar Prem | प्रेम सभी गुण- अवगुणों के साथ अपना बनाता है-
अगर आप ईश्वर से प्रेम ये सोच कर नहीं करते की मुझ में बहुत सारे अवगुण हैं, ईश्वर मुझे अपनी सरण में नहीं लेंगे, तो ये आपकी भूल है। क्योंकि जिस वक्त आप सच्चे भाव के साथ खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देते हैं, उस वक्त ईश्वर आपको आपके गुण- अवगुण के साथ स्वीकार कर लेते हैं।
अगर प्रेम का भाव सच्चा हो तो अवगुण भी गुण में परिवर्तित हो जाते हैं।
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