Hindi Life Motivational Story | हम सभी शिव हो सकते हैं |

Hindi Life Motivational Story | Ham Sabhee Shiv Ho Sakate Hain | हम सभी शिव हो सकते हैं

Hindi Life Motivational Story | अपने जीवन के निराशा रूपी विष को पी कर (Ham Sabhee Shiv Ho Sakate Hain) हम सभी शिव हो सकते हैं। हम सभी के जीवन में शिव होने की सम्भवना होती है और (Ham Sabhee Shiv Ho Sakate Hain)  हम सभी शिव हो सकते हैं लेकिन ये इस बात पर निर्भर करता है की हम अपने जीवन में निराशा के कारणों को ज्यादा महत्व देते हैं या अपने कर्मों को ।

Hindi Life Motivational Story | Ham Sabhee Shiv Ho Sakate Hain

Hindi Life Motivational Story | हमारा जीवन संमुद्र के समान है। जिसमें विष और अमृत दोनों ही है । ये हम पर निर्भर करता है कि हम अपने आत्म मंथन में निराशा रूपी विष से पीङित हो जाते है या उस पर अपने ज्ञान और कर्म से विजय प्राप्त करके शिव हो जाते है।

शिव को विषधर के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने समुंद्र मंथन द्वार निकले विष से इस संसार को बचाने के लिए उसे अपने कंठ में धारण कर लिया और इस संसार को विष के प्रलय से मुक्त किया था।

हम सभी व्यक्ति के अंदर ईश्वन निवास करते हैं। ये बात हम सभी जानते हैं परन्तु पराय इस बात को कभी समझ नहीं पाते हैं। आईये आज हम जानते है किस तरह हम सभी शिव हो सकते हैं।


Also Read:-Dukhon Se Mukti Paane Ka Aasaan Tareeka | दुखों से मुक्ति पाने का आसान तरीका


शिव सभी के अंतर्मन में निवास करते है, बस आवश्क है तो शिव को समझने की जिस दिन हम शिव को समझ जायेंगे उस दिन हम स्वंय विषधर बन जायेंगे।
विष मात्र एक जहर नहीं है जो हमारी जीवनलीला को समाप्त कर सकता है, बल्कि विष के वो सभी प्रकार होते हैं जो हमारे जीवन को निराश से और मन को अंधकार से भर देता है।

जिस प्रकार समुंद्र मंथन से पहले विष बाहर आया था और फिर अमृत मिला था। उसी प्रकार हमें अपना स्वंय मंथन करना चाहिए । हमें अपने जीवन में हो रहे निराशा के कारणों पर विचार करना चाहिए और समझना चाहिए कि निराशा से कब हमें लाभ प्राप्त हुआ है। अगर निराशा से हमें कोई लाभ ही नहीं ,तो अपने जीवन को निराशा से भरने का क्या क्या अर्थ है । हमें अपने जीवन रूपी संसार में निराशा रूपी विष को फैलने से रोकने के लिए आत्म मंथन की अवश्कता होती है।

Hindi Life Motivational Story | जिस समय हम अपने निराशा के कारणों को त्याग कर केवल अपने आत्म मंथन पर ध्यान देते उस समय हमें अमृत रूपी ज्ञान प्राप्त होता है। हमारा जीवन संमुद्र के समान है। जिसमें विष और अमृत दोनों ही है । ये हम पर निर्भर करता है कि हम अपने आत्म मंथन में निराशा रूपी विष से पीङित हो जाते है या उस पर अपने ज्ञान और कर्म से विजय प्राप्त करके शिव हो जाते है (Ham Sabhee Shiv Ho Sakate Hain) ।


Also Read:- Life Motivational Hindi Poem | Abhee Main Haaroogaan Nahin | अभी मैं हारूगां नहीं


-Nisha Nik “ख्याति”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *