राम भक्त रामानंद के विषय में प्रमुख बिंदु | Raam Bhakt Raamaanand Ke Vishay Mein Pramukh Bindu

हिंदी में रामभक्ति के पुरस्कर्ता रामानंद है। आचर्य शुक्ल के अनुसार भक्ति को दक्षिण से उत्तर में लाने का काम रामानंद द्वारा ही किया गया ।

राम भक्त रामानंद

हिंदी में रामभक्ति के पुरस्कर्ता रामानंद को माना जाता है। आचार्य शुक्ल ने रामानंद को हिंदी रामभक्ति काव्य का पहला कवि माना है।

भक्ति को दक्षिण से उत्तर में लाने का काम रामानंद द्वारा ही किया गया ।

कबीर ने कहा है रामानंद के विषय में कहा है –

‘भक्ति द्राविड़ उपजी, लाएँ रामानंद।
परगट किया कबीर थे, सात दीप नौ खंड।।


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रामानंद ने ‘श्री रामार्चन पद्धति’ नामक पुस्तक में अपनी पूरी गुरु परंपरा दी है। उनके अनुसार रामानुजाचार्य उनसे 14 पीढ़ी ऊपर थे।

रामानंद के गुरु का क्या नाम है –

रामानंद के गुरु राघवानंद थे।

रामानंद, रामानुजाचार्य से इन अर्थों में अलग हैं कि उनकी उपासना पद्धति के केंद्र में बैकुंठ वासी विष्णु नहीं, बल्कि लोक में लीला करने वाले राम हैं। रामानुजाचार्य से उलट, रामानंद ने भक्ति के द्वार सब जातियों के लिये खोल दिये।


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रामानंद ने एक उत्साही विरक्त दल का संगठन किया, जो ‘वैरागी’ के नाम से प्रसिद्ध है। वैरागियों को ‘अवधूत’ भी कहते हैं। अयोध्या, चित्रकूट आदि वैरागियों के मुख्य स्थान हैं। वैरागियों की परंपरा में रामानंद का मानिकपुर के शेख तकी पीर के साथ वाद-विवाद होना माना जाता है।

रामानंद सिकंदर लोदी के समय में वर्तमान थे। शेख तकी को सिकंदर लोदी का पीर (गुरु) माना जाता है।

वैरागी संप्रदाय को ‘रामावत’ व ‘रामानंद’ संप्रदाय नाम से भी जाना जाता है।

रामानंद संप्रदाय की गद्दी ‘गलता’ (जयपुर, राजस्थान) में अनंतानंद के शिष्य कृष्णदास पयहारी ने स्थापित की। अपने महत्त्व के कारण इसे ‘उत्तर तोताद्रि’ कहा गया। पहले गलता की गद्दी पर नाथपंथियों का अधिकार था।

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