हिन्दी कविता- मैं कौन हूँ | Hindi poem Main Kaun Hoon
मैं कौन हूँ | Main Kaun Hoon| जिस तरह देश में मंदिर, मस्जिद ,पंथ, को लेकर दंगे बढ़ रहें हैं उन सभी के बीच बस एक ही सवाल नजर आता है, मैं कौन हूँ (Main Kaun Hoon) ? ऐसे में जो सविधान हमें धर्मनिरपेक्षात का अधिकार देता है। आज वही खुद से सावल कर रहा है मैं कौन हूं (Main Kaun Hoon) ?
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हिन्दी कविता | Hindi Poem
मैं कौन हूँ ? | Main Kaun Hoon
मैं कौन हूँ ?
हिंदू हूँ , या मुसलमान हूँ ,
सिख हूँ , या इसाई हूँ
पता नही मैं कौन हूँ ?
समाज में धर्म के नाम पर
बाँट दिया मुझको ,
कभी अल्लाह बना दिया ,
तो कभी भगवान बना दिया ।
कभी मंदिर के नाम पर
मस्जिद टुङवा दिया ,
तो कभी मस्जिद के नाम पर
मंदिर टुङवा दिया
भारत के नेताओं ने
आयोध्या मंदिर को एक
राजनीति ही बना दिया ।
भारत का संविधान
धर्म को धर्मनिरपेक्ष बताता है ,
पर यहाँ के नेताओं ने
धर्म को ही कूटनीति बना दिया ।
मैं कौन हूँ ?
ये मैं खूद भी नही जानता !
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main kaun hoon ?
hindoo hoon , ya musalamaan hoon ,
sikh hoon , ya isaee hoon
pata nahee main kaun hoon ?
samaaj mein dharm ke naam par
baant diya mujhako ,
kabhee allaah bana diya ,
to kabhee bhagavaan bana diya .
kabhee mandir ke naam par
masjid tunava diya ,
to kabhee masjid ke naam par
mandir tunava diya
bhaarat ke netaon ne
aayodhya mandir ko ek
raajaneeti hee bana diya .
bhaarat ka sanvidhaan
dharm ko dharmanirapeksh bataata hai ,
par yahaan ke netaon ne
dharm ko hee kootaneeti bana diya .
main kaun hoon ?
ye main khood bhee nahee jaanata !
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