जयशंकर प्रसाद की कविता ‘आत्मकथ्य’ का सार तथा मूल पाठ, सप्रसंग व्याख्या | Class-X, Chapter-3 (CBSE/NCERT)

जयशंकर प्रसाद की कविता ‘आत्मकथ्य’ का सार तथा मूल पाठ, सप्रसंग व्याख्या और कवि परिचय| Class-X, Chapter-1 (CBSE/NCERT) जयशंकर प्रसाद

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सूरदास के पद (‘सूरसागर’ के भ्रमर गीत) कविता का सार तथा मूल पाठ, सप्रसंग व्याख्या | Class-X, Chapter-1 (CBSE/NCERT)

सूरदास के पद (‘सूरसागर’ के भ्रमर गीत) कविता का सार तथा मूल पाठ, सप्रसंग व्याख्या और कवि परिचय| Class-X, Chapter-1

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ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ठाकुर का कुआँ | Omaprakaash Vaalmeeki Kee Kavita Thaakur Ka Kuaan

ओमप्रकाश वाल्मीकि जी ठाकुर का कुआँ में बताया है कि दलितों की यातना इतनी बड़ी है की मिट्टी भी उनकी

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ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता सदियों का संताप | Omaprakaash Vaalmeeki Kee Kavita Sadiyon Ka Santaap

ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता सदियों का संताप ओमप्रकाश वाल्मीकि एक दलित साहित्यकार है | इनकी कविता ‘सदियों का संताप’ में

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कवि, सहित्यकार कुंवर नारायण जी का जीवन परिचय | Kavi, Sahityakaar Kunvar Naaraayan Ji Ka Jeevan Parichay

समकालीन कविता के कवि कुँवर नारायण को अपनी रचनाकला में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को जोड़ने के लिए

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कवि, सहित्यकार कुंवर नारायण जी कि प्रतिनिधि कविताएं | Kunvar Naaraayan Ji Ki Pratinidhi Kavitaen

कवि, सहित्यकार कुंवर नारायण जी कि प्रतिनिधि कविताएं इन्हें अपनी रचनाकला में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को जोड़ने

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राम भक्त रामानंद के विषय में प्रमुख बिंदु | Raam Bhakt Raamaanand Ke Vishay Mein Pramukh Bindu

हिंदी में रामभक्ति के पुरस्कर्ता रामानंद है। आचर्य शुक्ल के अनुसार भक्ति को दक्षिण से उत्तर में लाने का काम

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आलवार संत कौन थे और इनकी संख्या कितनी थी | Aalavaar Sant kaun the aur inakee sankhya kitanee thee

आलवार, मुख्यतः विष्णु भक्त थे। आलवार का शाब्दिक अर्थ मग्न होना होता है। माना जाता है दक्षिण में आलवारों की

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हिन्दी साहित्य के प्रमुख रासो ग्रन्थ | Major Raso texts of Hindi literature

आदिकाल में प्रशस्ति-काव्य को ही ‘रासो’ कहा गया।यही प्रबंध काव्य परंपरा हिन्दी साहित्य में’रासो’ के नाम से पाई जाती है। 

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धर्म/साधना के विषय में आचार्य शुक्ल जी के मत तथा रहस्यवाद के भेद | Acharya Shukla ji’s views on religion/sadhana and the differences in Mysticism

“धर्म का प्रवाह कर्म, ज्ञान और भक्ति, इन तीन धाराओं में चलता है। इन तीनों के सामंजस्य से धर्म अपनी

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