सफलता का गुरूमंत्र | Success Mantra

Success Mantra | जिन्दगी में हार मानने से जब मुसिबते खत्म नहीं होती है तो हम अकसर नाकाम होकर हार क्यों मान लेते हैं। (Success Mantra) क्या हार मान लेने से हम काम करना छोङ देते है या हमें पहले से कम काम करना होता है। जब इन में से कुछ भी नहीं होता है तो हम हार क्यों मानते है। सच तो ये है की हार मानने से हमारा ना तो काम कम होता है ना ही काम करना छोङते है, बल्कि उस काम को पूरा करने में हमें और अधिक समय लगता है। सच ही कहा गया है मन से हारने पर हामारी हार होती है और मन से जीतने पर हमारी जीत होती है।

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आप किसी काम को पूरा कर पाते है या नहीं ये आपके मन के निश्चय पर होता है कि आपका मन उस काम को कितनी अच्छी प्रकार से करना चाहता है। कहीं आपका मन उस काम को करने में पङने वाली बाधायों को देखकर खबरा तो नहीं जाता। अगर ऐसा होता है तो आप किसी काम को करने से पहले ही हार मान लेते है और जब आप हारे हुए मन के साथ किसी कार्य को करते है तो ना आप उस कार्य को अच्छे से पूरा कर पाते है और ना ही आप उसे समय पर कर पाते है।

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कैसे करें नए कार्य की शुरूवात

आप जब भी किसी नए कार्य की शुरूवातत करें तो आप ये सोच कर उस काम को करें की आप उस कार्य को अच्छी तरह से सीखना चाहते हैं। जब भी हमारे मन में सीखने की इच्छा प्रबल होती है, हम किसी भी कार्य को अच्छे से और बिना थके ज्यादा समय तक कर पाते है। ऐसे में अगर आप से किसी प्रकार की गलती भी होती है तो आप उसे जल्द ही सही कर लेते है या सही करने की पूरी कोशिश करते। क्योंकि मानव मन हमेशा नई चीजों को सिखने के लिए तैयार रहता है। इसी बात का ध्यान हमें हमेशा रखना चाहिए और अपने मन को हमेशा नया सीखते रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए।


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विशेष ध्यान देने योग्य बात

जबतक हम सीखने के दौर में रहते है तब तक अपनी नाकामियों से हार नहीं मानते है। जिन्दगी भर सीखते रहना ही कामयाब होने का गुरूमंत्र है।

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