Mother Day Special Hindi Poetry | Fankaaar | Nisha Nik
Mother Day Hindi Poetry | Fankaaar
Mother day पर आप को इस वेवसाइट पर mother day special हिन्दी कविता पढने के लिए मिलेगी। जिसे आप mother day पर अपनी माँ को सुना सकते है या mother day पर इस कविता को अपनी माँ को एक उपहार स्वरूप दे सकते हैं। इस वेवसाइड पर मौजूद mothet day कविता को आप आसानी से अपने whatsapp और facebook पर share कर सकते है। साथ ही mother day special कविता आप दोस्तों को भी पढा सकते है। यह वेवसाइड आपके mother day को special बनाने की कोशिश में है।

जब तू पास होती है 'मां'
जब तू पास होती है ‘मां’
सच कहूं चोट लगना भी अच्छा लगता है
मेरा चिल्लाना और
तेरा ऊंची आवाज में कहना, क्या हुआ ?
अच्छा लगता है
तेरे पूछने पर आंसुओं का बाहर आना
चोट छोटी होने पर भी रो जाना और
गहरी होने पर तेरी गोदी में सो जाना
अच्छा लगता है
जब तू पास होती है ‘मां’
सच कहूं चोट लगना भी अच्छा लगता है
तेरे बनाए खाने को हर रोज खाना
और खाते हुए कुछ अच्छा बनाने की जिद्द करना
खाना खाने से नाक चढ़ाना
तेरा पैसे देकर मनाना
अच्छा लगता है
जब तू पास होती है ‘मां’
सच कंहू चोट लगना भी अच्छा लगता है
हर रोज लंच में कुछ नया देने की जिद्द करना
भूख से ज्यादा रोटी ले जाना
दोस्तों को अपना लंच खिलाना
उनसे तेरे खाने की तारीफ सुनना
अच्छा लगता है
जब तू पास होती है ‘मां’
सच कहूं चोट लगना भी अच्छा लगता है

मां की वही रोटी याद कर रहा था
गांव से निकलने से पहले
मैं शहर के सपने सजा रहा था
शहर आकर गांव में जो याद रह कर भी
मां का दिया अचार छोड़ आया
उसको याद कर रहा था ।
मां जब खाना देती थी
रोज तो वही सब्जी रोटी देती है
कुछ नया बना, कहता था
गांव में रहते हुए सोचता था
शहर में खूब अच्छा खाऊंगा
आज उसको खाते हुए
मां की वही रोटी याद कर रहा था ।

सुकून मुझे मां तेरी गोद में ही आया
यहां वहां हर जगह तलाश लिया
पर सुकून मुझे मां तेरी गोदी में ही आया
मैंने बाहर बहुत खाया
पिज़्ज़ा बर्गर और ना जाने क्या-क्या खाया
पर एक जो स्वाद तेरी रोटी में आया
वो कहीं नहीं आया
सुकून मुझे मां तेरी गोद में ही आया
मैंने पूरे दिन न जाने किस-किस से बात किया
पर जो मजा तेरे सवालों का जवाब
हां, हूं में देकर आया
वो कहीं नहीं आया
सुकून मुझे मां तेरी गोद में ही आया

आज बचपन का वो दिन बहुत याद आता है मां
आज बचपन का वो दिन बहुत याद आता है मां
जब मैं खेल कर आता था और भूखा ही सो जाता था
मैं नींद में होता था और तू उठा कर मुझको अपने हाथों से खिलाती थी
मेरे ना-नुकुर करने पर भी एक कोर और कहकर भरपेट खिलाती थी
वो बीता हुआ दिन बहुत याद आता है मां
आज जब थक कर काम से घर आता हूं और तुझसे दूर खुद को पाता हूं
रोज रोता नहीं पर सह्म जरूर जाता हूं
यह सोचकर मैं भूखा तो नहीं, तू भी आधे पेट खाती होगी
और मेरी चिंता में तू रात भर जागती होगी
देख मां मैं तुझे हमेशा तंग करता हूं
वो बचपन था, जब तेरे पास होकर तुझे सताता था
ये जवानी है, तुझसे दूर होकर तुझे परेशान करता हूं।

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