जीवन में खुश रहने का क्या आधार हो सकता है | Jivan me khush rahne ka adhar

आप अपने जीवन में खुश रहने का आधार(Jivan me khush rahne ka adhar), आप अपनी सम्पन्नता को ना बनाकर अपनी न्यूनता को बनाये। आपकी सम्पन्नता समय के साथ बदलती रहती है, कभी अधिक तो कभी कम।


हम खुश कैसे रह सकते हैं? ये प्रश्न जितना सामान्य है, इसका जवाब उतना ही जटिल प्रतित होता है। (jivan me khush rahne ka adhar) खुश रहने का कोई आधार नहीं होता है, परन्तु खुशी हर चीज का आधार अवश्य होती है या ये कह सकते हैं, खुश रहना आपके संपूर्ण जीवन का आधार होती है। हर व्यक्ति अपने जीवन में खुशी के अलग- अलग आधार तय करता है। हो सकता है, एक व्यक्ति की खुशी दो वक्त का खाना हो या ये भी हो सकता है कि किसी व्यक्ति को सिर्फ दो वक्त खाने से खुशी ना मिले।

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खुशी कब और कहां मिल सकती है, यह व्यक्ति विशेष अपने लिए तय करता है। लेकिन ये बात भी सत्य है कि सीमाओं के बाद भी किसी व्यक्ति को खुशी प्राप्त नहीं होती है। क्योंकि व्यक्ति अपने खुश रहने का आधार अपनी सम्पन्नता के हिसाब से तय करता है। और सम्पन्नता के साथ ही  अपने खुश रहने का आधार बदलता रहता है। इस बात को हम दूसरे प्रकार से भी समझ सकते है, व्यक्ति अपने खुश होने का आधार अपनी इच्छाओं को बनाता है। इच्छायें जो कि कभी निश्चित नहीं होती है। व्यक्ति को अगर एक इच्छा के पूर्ण होने से खुशी प्राप्त होती है तो तत्काल ही उसकी दूसरी इच्छा का जन्म हो जाता है। और पहली इच्छा के पूर्ण होने से उसे जो खुशी प्राप्त होती है वो क्षण मात्रा की रह जाती है। तो अब आप खुद ही तय कर सकते हैं कि जीवन में खुश रहने का आधार क्या हो सकता है और हम जीवन में खुश कैसे रह सकते है?


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(jivan me khush rahne ka adhar) अगर आप जीवन में खुश रहना चाहते है तो अपनी खुशी का आधार अपनी सम्पन्नता को ना बनाकर अपनी न्यूनता को बनाये। आपकी सम्पन्नता समय के साथ बदलती रहती है, कभी अधिक तो कभी कम। लेकिन आपकी न्यूनता जीवन भर समान रहती है। अगर आप अपनी सम्पन्नता को अपने खुश रहने का आधार बनाते है तो सम्पन्नता के बदलाव के साथ आपकी खुशी भी प्रभावित होगी हो सकता है, इसकी वजह से आप कभी अधिक खुश रहें तो कभी अत्याधिक दुखी।

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