ओमप्रकाश वाल्मीकि का जीवन परिचय | Omaprakaash Vaalmeeki Ka Jeevan Parichay
हिंदी में दलित साहित्य में ओमप्रकाश वाल्मीकि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने अपने लेखन में जातीय-अपमान और उत्पीड़न का जीवंत वर्णन किया है
ओमप्रकाश वाल्मीकि का जीवन परिचय
ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्म 30 जून 1950 ग्राम बरला, जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश में हुआ और इनका निधन 17 नवंबर 2013 हुआ।
इनकी उच्च शिक्षा एम० ए० (हिन्दी) से पूरी करी l इनका बचपन सामाजिक एवं आर्थिक कठिनाइयों में बीता। पढ़ाई के दौरान इन्हें अनेक आर्थिक, सामाजिक और मानसिक कष्ट झेलने पड़े।
वाल्मीकि जी कुछ समय तक महाराष्ट्र में रहे। वहाँ वे दलित लेखकों के संपर्क में आए और उनकी प्रेरणा से डा०. भीमराव अंबेडकर की रचनाओं का अध्ययन किया। इससे उनकी रचना-दृष्टि में बुनियादी परिवर्तन हुआ।
हिंदी में दलित साहित्य के विकास में ओमप्रकाश वाल्मीकि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने अपने लेखन में जातीय-अपमान और उत्पीड़न का जीवंत वर्णन किया है और भारतीय समाज के कई अनछुए पहलुओं को पाठक के समक्ष प्रस्तुत किया है। वे मानते हैं कि दलित ही दलित की पीडा़ को बेहतर ढंग से समझ सकता है और वही उस अनुभव की प्रामाणिक अभिव्यक्ति कर सकता है।
उन्होंने सृजनात्मक साहित्य के साथ-साथ आलोचनात्मक लेखन भी किया है। उनकी भाषा सहज, तथ्यपरक और आवेगमयी है। उसमें व्यंग्य का गहरा पुट भी दिखता है। नाटकों के अभिनय और निर्देशन में भी उनकी रुचि है।
अपनी आत्मकथा जूठन के कारण उन्हें हिंदी साहित्य में पहचान और प्रतिष्ठा मिली। उन्हें सन् 1993 में डा० अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार और सन् 1995 में परिवेश सम्मान से अलंकृत किया गया।
इनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं : कविता संग्रह – सदियों का संताप¸ बस्स बहुत हो चुका, आत्मकथा-जूठन, कहानी संग्रह- सलाम¸ घुसपैठिए, इनकी आलोचना कृति है -दलित साहित्य का सौंदर्यशास्त्र ।
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