दुुख के साथ ही सुख का अस्तित्व है।
कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में कभी दुख की कल्पना नहीं करता है। लेकिन सभी व्यक्ति के हिस्से में दुख आता है। हम हमेशा इस पर विचार करते है कि हमारे हिस्से ही दुख क्यों आता है, कभी इस पर विचार नहीं करते है कि हमारे हिस्से कितनी खुशी मिलती है। ऐसा कोई एक व्यक्ति नहीं करता बल्कि हम सभी को दुखों के कल्पना मात्र से डर लगता है।
हम दुखों से क्यों डरते है
हम हमेशा दुखों को अपनी परेशानी की तरह समझते है। यही कारण है कि हम उसकी कल्पना करने से डरते है। लेकिन जीवन में दुखों के आने से हम उसका सामना करना सीख जाते है, साथ ही ये समझ भी पाते है कि कोई भी परेशानी हमें परेशान होने के लिए नहीं होती है, बल्कि वो हमें जीवन में आगे बढाने के लिए एक नई सीख देने आती है और उस नई सीख के साथ हम अपनी परेशानियों को अपनी खुशी में बदलनें के काबिल बन पाते हैं।