दुुख के साथ ही सुख का अस्तित्व है।

कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में कभी दुख की कल्पना नहीं करता है। लेकिन सभी व्यक्ति के हिस्से में दुख आता है। हम हमेशा इस पर विचार करते है कि हमारे हिस्से ही दुख क्यों आता है, कभी इस पर विचार नहीं करते है कि हमारे हिस्से कितनी खुशी मिलती है। ऐसा कोई एक व्यक्ति नहीं करता बल्कि हम सभी को दुखों के कल्पना मात्र से डर लगता है।

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हम दुखों से क्यों डरते है

हम हमेशा दुखों को अपनी परेशानी की तरह समझते है। यही कारण है कि हम उसकी कल्पना करने से डरते है। लेकिन जीवन में दुखों के आने से हम उसका सामना करना सीख जाते है, साथ ही ये समझ भी पाते है कि कोई भी परेशानी हमें परेशान होने के लिए नहीं होती है, बल्कि वो हमें जीवन में आगे बढाने के लिए एक नई सीख देने आती है और उस नई सीख के साथ हम अपनी परेशानियों को अपनी खुशी में बदलनें के काबिल बन पाते हैं।

हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए परेशानियों से भरा वक्त कभी शिकायत करने में गुजारने के लिए या विलाप करने के लिए नहीं होता है, बल्कि ये आपके लिए एक अवसर होता है, कुछ नया सीखने का।
 
सुख की क्यों अह्मियत है
क्यों सभी सुख को इतनी अह्मियत देते है, क्या जीवन में सिर्फ सुख होना चाहिएहो सकता है कई लोगों का जबाव हाँ में होगा पर क्या आपने सोचा है कि सिर्फ सुख होता तो क्या उसका हमारे जीवन में इतना ही महत्व होता। जिस प्रकार रात के बिना दिन का अस्तित्व अधूरा है, उसी प्रकार हमारे जीवन में सुख की अह्मियत दुख के कारण है।
हमेशा याद रखें, दुख हमेशा हमारे लिए एक अवसर होता है, इसे अलाप कर के गवाना नहीं चाहिए।

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