Reetikaaleen Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिकालीन कवि और उनकी रचनाएं

Reetikaaleen Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिकालीन कवि और उनकी रचनाएं

Reetikaaleen Kavi Aur Unakee Rachana | हिन्दी साहित्य में संवत् 1700 से संवत् 1900 तक समय रीतिकाल कहलाया। इस काल के कवियों ने शास्त्रीय ढंग से अपनी रचनाओं में उदहारण को रखें।
Reetikaaleen Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिकालीन कवियों और उनकी रचनाओं को तीन श्रेणि में रखा गया है।

Reetibaddh Kavi Aur Unakee Rachana | Reetisiddh Kavi Aur Unakee Rachana | Reetimukt Kavi Aur Unakee Rachana |

Reetibaddh Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिबद्ध कवि और उनकी रचनाएं
Reetisiddh Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिसिद्ध कवि और उनकी रचनाएं
Reetimukt Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिमुक्त कवि और उनकी रचनाएं

Also Read:- aadikaal ya veeragaatha kaal | आदिकाल या वीरगाथा काल की विशेषता


Reetibaddh Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिबद्ध कवि और उनकी रचनाएं

Reetibaddh Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिबद्ध कवि की श्रेणि में वो कवि रखे गये जिन्होंने लक्ष्णग्रंथ और काव्य ग्रंथ दोनों की एक साथ रचना की। अर्थात रीतिबद्ध कवि , कवि होने के साथ-साथ आचार्य होने का भी कार्य किया था। इस धारा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएं हैं-

केशवदास– केशवदास रीतिबद्ध कवि धारा के प्रवर्त्तक कवि हैं । इनकी मुख्य रचनाएं हैं – कविप्रिया ,रसिकप्रिया ,चंद्रिका ,रामचंद्रिका ,चंद्रिका ,विज्ञानगीता ,रतनबावनी ,जहाँगीरजस ,वीरसिंह देव चरित । केशवदास की काव्य भाषा ब्रज है।

चिंतामणि– इनकी मुख्य रचनाएँ हैं -कविकुलकल्पतरु ,पिंगल ,काव्य-विवेक ,काव्य-प्रकाश ,रसमंजरी ,श्रृंगार-मंजरी ,रस-विलास, कृष्ण-चरित ,कवित्तविचार ,छंद-विचार पिंगल । चिंतामणि की काव्य भाषा ब्रज है।

मतिराम– इनकी मुख्य रचनाएँ हैं ,ललितललाम ,छंदसार ,रसराज ,साहित्य सार ,लक्षण श्रृंगार ,मतिराम सतसई ,फूलमंजरी ,अलंकार पंचशिका। मतिराम की काव्य भाषा ब्रज है।

भूषण– इनकी मुख्य रचनाएँ हैं, शिवराज भूषण ,भूषण उल्लास ,दूषण उल्लास ,भूषण-हजारा ,शिवा बावनी ,छत्रसाल दशक । भूषण की काव्य भाषा ब्रज है।

भिखारीदास– इनकी मुख्य रचनाएँ हैं, काव्य-निर्णय ,श्रृंगार निर्णय ,रस-सारांश ,शतरंज शतिका ,शब्द नाम प्रकाश ,विष्णु पुराण भाषा ,छंदार्णव पिंगल।

देव– इनकी मुख्य रचनाएँ हैं, रस-विलास ,भवानीविलास ,भावविलास ,कुशलविलास ,जाति विलास ,प्रेमपचीसी ,प्रेम-तरंग ,प्रेमचंद्रिका ,काव्य रसायन । देव की काव्य भाषा ब्रज है।

पद्माकर- इनकी मुख्य रचनाएँ हैं, पदमाभरण ,हिम्मत बहादुर ,जगद् विनोद ,प्रबोध पचीसी ,राम रसायन ,विनोद पचासा ,गंगालहरी ,यमुनालहरी । पद्माकर की काव्य भाषा ब्रज है।

Reetibaddh Kavi Aur Unakee Rachana | Reetisiddh Kavi Aur Unakee Rachana | Reetimukt Kavi Aur Unakee Rachana |

Reetisiddh Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिसिद्ध कवि और उनकी रचनाएं

Reetisiddh Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिसिद्ध कवि ने लक्ष्णग्रंथों की रचना नहीं की परन्तु इनके काव्य मात्र से काव्य के लक्ष्ण सिद्ध हो जाते हैं। रीतिसिद्ध कवियों में सबसे पहले जिस कवि का नाम लिया जाता है, वह है- बिहारी । बिहारी रीतिकाल के सबसे ज्यादा लोकप्रिय कवि हैं । बिहारी की एक ही रचना मिलती है, जिसका नाम है “बिहारी सतसई” ।

Reetimukt Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिमुक्त कवि और उनकी रचनाएं

Reetimukt Kavi Aur Unakee Rachana | रीतिमुक्त कवि वो कहलाएं जिन्होनें अपनी रचना काव्य लक्ष्ण के आधार पर ना कर के अपने भावों के अनुसार रचना करी। इस धारा के मुख्य कवि हैं-


Also Read:- Aadikaal Ke Upanaam, Hindi Saahity | आदिकाल के उपनाम, हिन्दी साहित्य


घनानंद– घनानंद रीतिमुक्त कवि धारा के प्रवर्त्तक कवि हैं। इनकी मुख्य रचनाएँ हैं, सुजानसागर ,विरहलीला ,कोकसार ,रसकेलिबल्ली ,कृपाकांड ।

आलम– इनकी मुख्य रचनाएँ हैं, आलम केलि, सुदामा चरित ,श्यामस्नेही ,माधवानलकामकंदला ।

बोधा– इनकी मुख्य रचनाएँ हैं, विरहबारीश ,इश्कनामा ।

ठाकुर– इनकी मुख्य रचनाएँ हैं, ठाकुर ठसक ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *