कवि, सहित्यकार कुंवर नारायण जी का जीवन परिचय | Kavi, Sahityakaar Kunvar Naaraayan Ji Ka Jeevan Parichay
समकालीन कविता के कवि कुँवर नारायण को अपनी रचनाकला में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को जोड़ने के लिए जाना जाता है।
कवि, सहित्यकार कुंवर नारायण जी का जीवन परिचय
समकालीन कविता के कवि कुँवर नारायण जी का जन्म 19 सितंबर 1927 को उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद एक संपन्न परिवार में हुआ था तथा इनका निधन 15 नवंबर 2017 में हुआ ।
उन्होने इंटर तक की पढ़ाई विज्ञान विषय से की लेकिन आगे चल कर वे साहित्य के विद्यार्थी बने और लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम॰ए॰ किया।
कुँवर नारायण को अपनी रचनाकला में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को जोड़ने के लिए जाना जाता है। कुंवर नारायण की मूल विधा कविता रही है पर इसके अलावा उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच एवं अन्य कलाओं पर भी बखूबी अपनी लेखनी चलायी है। यही कारण है कि उनका रचना संसार इतना व्यापक एवं जटिल है इसलिए उन्हें साहित्य जगत में कोई एक नाम देना सम्भव नहीं। कुंवर नारायण के लेखन में सहज संप्रेषणीयता के साथ प्रयोग भी नजर आता है । उनकी कविताओं-कहानियों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। ‘तनाव‘ पत्रिका के लिए उन्होंने कवाफी तथा ब्रोर्खेस की कविताओं का भी अनुवाद किया है।
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इनका प्रथम काव्य संग्रह चक्रव्यूह नाम से प्रकाशित हुआ तथा आत्मजयी इनका प्रबंध काव्य है। इसके अलावा नारायण जी की कृतियाँ है आकारों के आसपास (कहानी संग्रह), परिवेश : हम-तुम, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, आज और आज से पहले (समीक्षा), मेरे साक्षात्कार और वाजश्रवा के बहाने । कुंवर नारायण जी तीसरे तारसप्तक के कवि भी रहे।
कुँवर नारायण जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ज्ञानपीठ के अलावा कुँवर नारायण जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, कुमार आशान पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, शलाका सम्मान, मेडल ऑफ़ वॉरसा यूनिवर्सिटी, पोलैंड और रोम के अन्तर्राष्ट्रीय प्रीमियो फ़ेरेनिया सम्मान और पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया है।