मां के गर्भ में शिशु कैसे सांस लेता है | Baby in mother’s womb


मां के गर्भ में शिशु (baby in mother’s womb) का विकास और ऐसी कई बाते हैं जो हम जानना चाहते हैं, उसी में से एक है ये भी है कि मां के गर्भ में शिशु (baby in mother’s womb) सांस कैसे लेता है।


प्रेग्नेंसी की शुरुआती अवस्था में ही फेफड़ों का विकास होना शुरू हो जाता है लेकिन गर्भावस्था की तीसरी तिमाही तक ये पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं।प्रेग्नेंसी के 24वें हफ्ते से लेकर 36वें हफ्ते के बीच फेफड़े एलविओली बनाना शुरू करते हैं। ये फेफड़ों की एक छोटी-सी थैली होती है जो कि ऑक्सी जन से भरी होती है। जब तक कि ये थैली पूरी तरह से विकसित न हो जाए, तब तक जन्मै के बाद शिशु को सांस लेने में दिक्ककत हो सकती है। गर्भवती महिलाएं अक्स र शिशु के सांस लेने के तरीके को लेकर चिंति‍त रहती हैं और यह चिंता शिशु के गर्भ नलिका की ओर आने पर और बढ़ जाती है। आपको बता दें कि गर्भ में रहने तक अम्बिनलिकल कॉर्ड यानी गर्भनाल के जरिए सांस लेता है।

How baby breathes in mother's womb Baby in mother's womb

गर्भनाल से लेता है सांस

गर्भावस्था के 5 से 6 सप्तासह के बाद भ्रूण को ऑक्सीेजन पहुंचाने के लिए गर्भनाल विकसित हो जाती है। ये गर्भनाल अपरा या प्लेससेंटा से जुड़ी होती है और गर्भनाल के जरिए ही भ्रूण को जरूरी पोषक तत्व‍ मिलते हैं। गर्भनाल और अपरा में कई रक्तर वाहिकाएं होती हैं और प्रेग्नें।सी के नौ महीनों के दौरान लगातार विकसित होती रहती हैं। गर्भनाल और प्लेनसेंटा मिलकर मां से शिशु तक पोषण को पहुंचाती हैं। ये शिशु के विकास के लिए जरूरी ऑक्सीोजन युक्तत रक्तह की भी आपूर्ति करती हैं। इसका मतलब है कि गर्भावस्था‍ के दौरान बच्चेत के लिए मां ही सांस लेती है और मां के खून में मौजूद ऑक्सीाजन शिशु के रक्ते में जाता है।

डिलीवरी के दौरान और जन्म के बाद सांस लेना

जन्म के समय कुछ बच्चों के गर्दन पर गर्भनाल लिपटी होती है। इस स्थिति को नुकल कॉर्ड कहते हैं और ऐसा 12 से 37 फीसदी मामलों में होता है। अधिकतर मामलों में इसकी वजह से कोई परेशानी नहीं होती है क्यों कि इस स्थिति में भी गर्भनाल शिशु को ऑक्सीहजन दे रही होती है। वहीं अगर गर्भनाल काफी सख्तीन से शिशु की गर्दन पर लिपटी हो तो नाल में ऑक्सीहजन की पूर्ति सीमित या बाधिक हो सकती है। डिलीवरी के दौरान डॉक्टीर नुकल कॉर्ड की स्थिति की जांच करते हैं।


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जन्म के बाद नए वातावरण में शिशु पहली बार खुद से सांस लेता है। जन्मौ के बाद एम्नियोटिक फ्लूइड की कमी और हवा के संपर्क में आने पर बच्चा‍ अपनी पहली सांस लेता है। कुछ बच्चेक डिलीवरी के दौरान ही अपनी पहली पॉटी कर देते हैं। शिशु की पहली पॉटी को मेकोनियम कहते हैं। जन्मक के बाद और जन्म से कुछ सेकंड पहले तक सांस लेने की कोशिश करने पर बच्चाक मेकोनियम को अंदर ले सकता है। ये जन्मस के बाद शिशु की सांस लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए इसका तुरंत इलाज होना जरूरी है।

पहली बार सांस लेने पर क्या होता है।

डिलीवरी के बाद के पहले 10 सेकंड के अंदर बच्चाइ पहली बार नाक से सांस लेता है। पहली बार सांस लेने पर हांफने जैसी आवाज आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंसकि शिशु के छोटे-से फेफड़े फ्लूइड से भरे होते हैं। पहली बार सांस लेने पर सबसे पहले शिशु श्व-सन मार्ग में अटके फ्लूइड को बाहर निकालते हैं। इससेउनका श्वशसन तंत्र सक्रिय होता है। बच्चेड के फेफड़ों और नाक के लिए सांस लेने की पूरी प्रक्रिया नई होती है इसलिए इस दौरान सांस लेने पर उन्हें छींक आना या फक-फक करना सामान्यए बात है।

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