शिक्षित बेरोजगारी | Educated unemployment
‘शिक्षित बेरोजगारी’ हमारे देश का और इसके आर्थिक स्थिती का ऐसा कटू सत्य जिसे झुटलाया नही जा सकता, ना ही बङी-बङी बातो से इस पे परदा डाला जा सकता। हमारे देश के युवा मानसिक रूप से कमजोर और बिमार हो चुके है।क्योकि हमारे देश के युवा जब अपनी सन्तक की पढाई पूरी कर उम्र के तरूण अवस्था में पहुँचते है तो उन से उनके परिवार की उम्मीदें पढ जाती है। और वो जल्द से जल्द को सरकारी नौकरी ले ऐसी उन से उम्मीद की जाती है।
और जब उन्हे नौकरी नही मिलती तो वो किस मानसिक स्थिती से गुजरते है। इससे हम सभी अवगत है क्योकि जहाँ तक मैं समझती हूँ इस देश का हर युवा शिक्षित बेरोजगारी से पीङित है।चाहे तो उसके पास नौकरी नही है या फिर है तो वो उसके शिक्षा के अनुसार नही है। समय पर नौकरी ना मिलना और शिक्षा के अनुसार नौकरी ना मिलना युवा के अंदर असंतोष की भावना को उत्पन कर देता और उन्हे मानसिक रूप से कमजोर और बिमार भी बना देता है।
एक कटू सत्य यह भी है की हमारे देश के सरकारी स्कूल में शिक्षा पद्धती भी बिमार है और माँ बाप अपने बच्चो को इस बिमार शिक्षा पद्धती से बचाने के लिए नीजि स्कूल के सरण में जाते है। हमारे देश में नीजि स्कूल शिक्षा का मंदिर कम और का अडा ज्यादा बन चूका है और इन ही सब बिमार अवस्थाओं का शिकार हमारी युवा हो जा रही है।
शिक्षित बेरोजगारी का एक मुख्य कारण हमारे देश की बढती आबादी भी है और कही ना कही मेरे नीजि विचार है की हमारे देश कर्पशन्न का करण भी शिक्षित बेरोजगारी है। शिक्षित बेरोजगारी हमारे देश जहर की तरह काम कर रहा है। ये हमारे देश की आने वाली भविष्य की नीव को बीमार बना रहा है।
अगर इसका जल्द से जल्द उपाये ना किया गया तो भारत युवाओं का देश नही बल्कि मानसिक रूप से बीमार युवाओं का देश हो जायेगा। हम जिन युवाओ पर गर्व करते है शिक्षित बेरोजगारी पूरी तरहा से इनकी बुनियाद हिलाये इससे पहले ही हमें शिक्षित बेरोजगारी को रोकने के लिए ठोस कदम लेने चाहिए।