बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर | Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar
डॉ. भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारत के निर्माता, दलितों के मसीहा थे। उन्होंने नारा दिया-Educate, organise and struggle अर्थात् शिक्षित बनो, संगठित और संघर्ष करो।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय
बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में महू नामक ग्राम में रामजी एवं भीमाबाई की 14वीं संतान के रूप में 14 अप्रैल, 1891 ई. में हुआ था। वे महार जाति के थे जो अस्पृश्य मानी जाती थी। उनके 5 भाई-बहिन ही जीवित बचे थे। उनके पिता और दादा दोनों फौज में थे। बाद में सतारा में रहने लगे। स्कूली शिक्षा सतारा में जमीन पर बैठकर हुई। 1908 में हाईस्कूल किया तथा 1912 में एलीफेस्टन कॉलेज से बी ए उत्तीर्ण किया। 1913 में उनके पिता की मृत्यु हो गई। बड़ौदा महाराज की छात्रवृत्ति से उच्च शिक्षा ग्रहण की। 1913 में कोलम्बिया विश्वविद्यालय अमेरिका से एम ए तथा पीएच डी किया। बाद में बड़ौदा महाराज की सेवा में लौट आए, किन्तु वहा चपरासी तक उन्हें फेंककर फाइल देता था। इस अस्पृश्यता से दुखी होकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी। 1917 में वे मुम्बई आ गए जहा मूकनायक पाक्षिक पत्र निकाला। दलितोद्धार पर सभा-सम्मेलन आयोजित किए। 1924 में बहिष्कृत हितवादी सभा का गठन किया 1920 में लदन गए और वहा से D.Sc. की उपाधि लेकर लौटे। बेरिस्टर की उपाधि भी उन्होंने वहीं से ग्रहण की।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर का राजकीय जीवन
आपने गाधी के हरिजन शब्द का विरोध किया तथा तीनों गोलमेज सम्मेलनों में उनके साथ भाग लिया। गाधीजी के साथ पूना पैक्ट कर अनुसूचित जाति के आरक्षण को सुनिश्चित किया। आपने जीवन पर्यन्त अस्पृश्यता का विरोध किया तथा दलितोद्धार के लिए कार्य किया। आप अपने अनुयायियों में बाबा साहब के नाम से प्रसिद्ध रहे।
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आप स्वतन्त्र भारत के पहले कानूनमन्त्री बने, किन्तु हिन्दू कोड बिल पर नेहरू से मतभेद होने के कारण मन्त्रिमडल से त्यागपत्र दे दिया।
ई. में आप राज्य सभा के लिए चुने गए तथा 1956 में लाखों अन्य लोगों के साथ आपने बुद्धजयंती पर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। आपका निधन 6 दिसम्बर 1956 ई को हुआ। 1990 में आपको मरणोपरांत भारत रत्न की सर्वोच्च उपाधि से सम्मानित किया गया।
आपके द्वारा लिखी गयी पुस्तकों के नाम है-
1 . The Annihilation of Caste
2. Thoughts on Pakistan
3. Who work the order
4. The Untouchables
अम्बेडकर आधुनिक भारत के निर्माता, दलितों के मसीहा थे। उन्होंने नारा दिया-Educate, organise and struggle अर्थात् शिक्षित बनो, संगठित और संघर्ष करो।
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