देश की राजनीति | Indian Politics
मंदिर, मस्जिद ,पंथ, धर्म पर सच-मुच अब हमारी हालत पहले से ज्यादा बुरी है। पहले हम जानते थे हमारे भवनाओं के साथ खेलने वाले हमें मू्र्ख कहने वाले हमारे बीच से नहीं है पर आज तो हमारे अपने ही हमें भावनात्मक मूर्ख साबित कर रहें है, और सही भी है इतना सब जानने के बाद भी हम समझते नही की जात, धर्म का नाम लेकर बस हमें आपस में लङवाया जा रहा है, हमें मूर्ख समझना बिल्कुल सही है ।
जब हम अपने बीते हुऐ कल से सीख नही ले सकते तो हमें वो ईश्वर भी नही समझा सकता।अंग्रेजों ने हमें भावनात्मक मूर्ख कहा है तो सही कहा है, क्योंकि वो अच्छे से समझते थे, हमें भवनाओं में कितनी आसानी से बहलाया जा सकता है और उन अंग्रेजो ने ऐसा किया भी और इतनी खुबसूरती से किया की हम आज तक समझ कर भी वही मूर्खता करते जा रहे है आज भी चंद राजनीति के लोग हमें अपनी जुबान बुलवा रहे है । आज भी हमें जात,धर्म के नाम पर ठगने का काम कर रहे है ।
ना जाने क्यों हम लोगों ने शब्दों के भेद को दिल का भेद समझा है । जब सभी धर्म एक इंसानियत को सर्वोपरि कहते है तो फिर क्यों हम मंदिर, मस्जिद ,पंथ, धर्म को लेकर लङते है । ईश्वर ने सभी रंगों को मिलाकर एक सफेद रंग बनाया है ताकि उस पर सभी रंग आसानी से चढ सके। जब ईश्वर ने इंसानियत को ऊपर रखा है फिर क्यों हम उसके नाम को गंदा कर रहे है । ना जाने क्यों जात के नाम पर धर्म के नाम पर उसकी इतनी खुबसूरत दुनिया को बेकार कर रहे है ।
यहाँ सभी प्रपंचियों को समझना चाहिए, भारत को दुनिया में इतने सम्मान की नजरों से देखा इसलिए जाता है क्योंकि यहाँ हर जात,धर्म,पंथ के रंग आपस में मिलकर इंसानियत का सफेद रंग बनाते है जिसमें हर रंग खुबसूरती से झलकता है और एक सुंदर दृश्य बनाता है। सभी प्रपंचियों को बस इतना समझायो ,अपने जरा से फायेदे के लिए इस सुंदर चित्र को ना बिगाङे।